शिमला (एमबीएम न्यूज): जुलाई 2017 में गुडिया के सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या के मामले ने हर किसी को झनझोड़ कर रख दिया। मासूम गुडिया की रूह 10 महीने बाद इस सवाल का जवाब जरूर मांग रही होगी कि वहशी दरिंदे क्यों आजाद घूम रहे हैं। आज गुडिया के परिवार से सहानुभूति जताने कोई राजनीतिज्ञ या फिर अफसर नहीं जाता है।
निश्चित तौर पर सूरज की कस्टोडियल मौत अब भी सुर्खियों में है। इसकी बड़ी वजह यही हो सकती है कि सीबीआई ने आईजी स्तर के अधिकारी समेत पूर्व एसपी व डीएसपी को गिरफ्तार किया था। लेकिन सवाल लगातार यही उठ रहा है कि क्या गुडिया मामले में सीबीआई आने वाले वक्त में केस को अनट्रेस घोषित कर देगी। यह अलग बात है कि पुलिस ने उन आरोपियों को भी पूरी तरह से क्लीनचिट नहीं दी है, जिन्हें गुडिय़ा के मामले में हिमाचल पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
अहम बात यह भी है कि पिछले कुछ सप्ताह में सूरज कस्टोडियल मौत को लेकर चिट्ठियां जारी करने का सिलसिला भी शुरू हुआ। पुख्ता सूत्र बताते हैं कि तीन में से दो पत्र पूरी तरह से झूठ का पुलिंदा थे। बावजूद इसके सुर्खियां बटोर गए। सनद रहे कि 13 जुलाई 2017 को गुडिय़ा मामले में कथित आरोपियों को हिमाचल पुलिस ने गिरफ्तार किया था। चूंकि सीबीआई चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई, लिहाजा आरोपियों को डिफॉल्ट बेल तय हो थी। जमानती न मिलने के कारण दो नेपाली मूल के आरोपियों को जमानत नहीं मिली है।
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक सीबीआई ने तकरीबन 250 डीएनए सैंपल जुटाए। साथ ही 1200 के आसपास ब्लड सैंपल लिए। नतीजा सिफर ही रहा। बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या सीबीआई का काम केवल हिमाचल पुलिस के आलाधिकारियों को सलाखों के पीछे पहुंचाना ही था। यह बात भी बिलकुल तर्कसंगत है कि हर हाल में सूरज को न्याय मिलना चाहिए। लेकिन उस मासूम गुडिय़ा का क्या, जो और अपनी जैसी बेटियों के लिए तो गुडिय़ा हेल्पलाइन बनवा गई, लेकिन अपने लिए न्याय आज तक हासिल नहीं कर पाई।
इसमें भी कोई दोराय नहीं है कि सीबीआई ने जिस दिन आरोपियों की सूचना देने के लिए 10 लाख रुपए का ईनाम जारी करने की घोषणा की थी, उसी दिन यह तय हो गया था कि सीबीआई ने हाथ खड़े कर दिए हैं।
यह भी सवाल…
पोक्सो एक्ट के कानून सख्त हैं। लेकिन इस मामले में धज्जियां उड़ी हुई हैं। बड़ा सवाल यह भी है कि पूर्व एसपी डीडब्ल्यू नेगी को लगभग तीन महीने के बाद ही क्यों गिरफ्तार किया गया। जानकार बताते हैं कि संभवत: सीबीआई जब 90 दिन के भीतर चार्जशीट नहीं दाखिल कर पाई तो नेगी की गिरफ्तारी से कुछ और वक्त मिल गया।