नाहन (शैलेंद्र कालरा): पांवटा साहिब के माजरा स्थित इंडियन टैक्नोमैक कंपनी प्राईवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक द्वारा अंजाम दिए गए हजारों करोड़ के घोटाले से जुड़ी कई दिलचस्प बातें भी सामने आ रही हैं। पता चला है कि दिल्ली के कारोबारी राकेश कुमार शर्मा ने औद्योगिक पैकेज के दौरान चार्टड अकाउंटैंट के तौर पर कार्य शुरू किया।
मुख्य कार्य उद्योगों को बैंकों से लोन दिलवाने का था। लेकिन 2008 में खुद की ही कंपनी बना ली। चंद सालों में ग्रुप ऑफ कंपनीज बन गई, जो देश के कई हिस्सों में फैली। औद्योगिक पैकेज के दौरान मिलने वाली इन्कम टैक्स व सेल्स टैक्स से जुड़ी रियायतों का जमकर फायदा उठाया जाने लगा। लेकिन 2014 में आबकारी व कराधान विभाग की इक्नोमिक इंवेस्टीगेशन यूनिट की नजर में घोटाला आया। संभवत: देश के इतिहास में ही पहली बार किसी कंपनी पर 2200 करोड़ रुपए का जुर्माना ठोका गया।
विभाग सक्रिय हुआ तो कंपनी में ताले लटक गए। बैंकों ने विभाग को इस बात से अवगत करवाया कि कंपनी द्वारा 1600 करोड़ का लोन लिया गया है, जो आज बढक़र 3200 करोड़ के आसपास हो गया होगा। आयकर विभाग ने लगभग दो साल पहले कंपनी पर 750 करोड़ रुपए की देनदारी ठोकी थी। लेकिन हैरान कर देने वाली बात यह है कि केंद्रीय एजैंसियां इस बारे में कोई सख्त कार्रवाई अमल में नहीं ला सकी। प्रदेश में अब आबकारी व कराधान विभाग के प्रधान सचिव पद की कमान तेजतर्रार आईएएस अधिकारी जेसी शर्मा ने संभाली है।
शुक्रवार की बैठक में शर्मा ने इस मामले में कोताही बरतने पर अधिकारियों को फटकार भी लगाई। मामला प्रवर्तन निदेशालय को सौंपे जाने की सरगर्मियां भी तेज हो चुकी हैं। उधर विभाग के सहायक आबकारी व कराधान आयुक्त जीडी ठाकुर का कहना है कि विभाग पूरी मुस्तैदी से कार्रवाई में जुट गया है। कुल मिलाकर मामला देश भर में चर्चा का विषय बन गया है।