नाहन (रेणु कश्यप): सोलन नगर परिषद के अध्यक्ष पद से राजनीति शुरू करने वाले डॉ. राजीव बिंदल अब 13वीें विधानसभा के अध्यक्ष पद तक पहुंचे हैं। हालांकि सरकार की योजनाओं व क्रियान्वयन में विधानसभा अध्यक्ष की कोई दखल नहीं होती है, लेकिन पद की संवैधानिक गरिमा है। प्रोटोकॉल की बात की जाए तो प्रदेश में राज्यपाल व मुख्यमंत्री के बाद विधानसभा अध्यक्ष होता है। प्रदेश की विधानसभा में सिरमौर को दूसरी बार अध्यक्ष का पद मिला है।
इससे पहले वीरभद्र सरकार में पच्छाद के विधायक गंगूराम मुसाफिर 11 मार्च 2003 से 9 जनवरी 2008 तक विधानसभा अध्यक्ष रहे हैं। देश भर में अगर किसी राज्य के विधानसभा अध्यक्ष का प्रोटोकॉल देखा जाए तो उस नजरिए से 14वां स्थान है। प्रदेश के मंत्रियों का स्थान 15वें नंबर पर आता है। पांचवी बार विधायक बने डॉ. बिंदल के मंत्री न बनने से गृह क्षेत्र में निराशा हुई है। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष का ओहदा मिलने से मायूसी कुछ दूर भी हुई।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने सुबह 9 बजे ही संभावित मंत्री मंडल के 10 सदस्यों की सूची प्रकाशित की थी। यह सूची 100 फीसदी सही साबित हुई। साथ ही खबर में यह भी संभावना जता दी गई थी कि डॉ. राजीव बिंदल को विधानसभा अध्यक्ष का ओहदा मिल सकता है।
मुख्यमंत्री समेत 11 मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह निपटने के बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि भाजपा ने नाहन के विधायक डॉ. राजीव बिंदल को विधानसभा अध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया है। बहरहाल विधानसभा को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी डॉ. बिंदल पर आई है।