कुल्लू (एमबीएम न्यूज): पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी व उनके बाल सखा अर्जुन गोपाल का सपना पूरा होने जा रहा है। दरअसल छह महीने तक समूचे देश से कटे रहने वाला लाहौल-स्पीति अब साल भर रोहतांग टनल (8.8 किमी) के कारण देश भर से जुड़ा रहेगा। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रोहतांग सुरंग की खुदाई का कार्य 60 से 80 मीटर शेष रह गया है। यह अलग बात है कि सुरंग की आधारशिला 2010 में सोनिया गांधी ने रखी थी, लेकिन इसका सपना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देखा था।
यह मांग वाजपेयी के समय उनके खास मित्र व समाजसेवी अर्जुन गोपाल ने रखी थी। वाजपेयी को लाहौल की हर स्थिति से अवगत करवाया था। अब चूंकि सुरंग का कार्य पूरा होने जा रहा है, लिहाजा लाहौल-स्पीति जनजातीय कल्याण समिति के अध्यक्ष डॉ. चंद्रमोहन परशीरा ने इस टनल का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी व उनके लाहुली बाल सखा अर्जुन गोपाल के नाम पर रखने की मांग की है। उनके मुताबिक टनल से जुड़े तमाम दस्तावेज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेज दिए गए हैं, जिसमें यह बताया गया है कि सुरंग के निर्माण से जुड़े चंद लाहौली लोगों का संघर्ष व अटल बिहारी वाजपेयी के विराट व्यक्तित्व का जिक्र है।
परशीरा ने कहा कि यूं तो सुरंग का सपना मोरावियन मिशनरी के लोगों ने 135 वर्ष पहले देखा था, लेकिन हकीकत में सुरंग का वजूद तब सामने आया, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी को उनके बाल सखा अर्जुन गोपाल अपने दो सहयोगियों छेरिंग दोरजे व अभय चंद राणा के साथ दिल्ली पहुंचे थे। सनद रहे कि पूर्व प्रधानमंत्री व अर्जुन 50 के दशक में बडौदा संघ शिक्षा वर्ग में मिले थे। वहीं उनकी मित्रता हुई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री से अर्जुन की मुलाकात 40 साल बाद हुई तो वाजपेयी ने गले लगाकर अर्जुन का अभिनंदन किया था। इससे आधुनिक काल में कृष्ण व सुदामा की मित्रता भी पुनर्जीवित होती नजर आई।
डॉ. परशीरा का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री के कहने पर ही जनजातीय कल्याण समिति का गठन किया गया था। इसी संगठन के नाम से तीन सालों तक प्रधानमंत्री कार्यालय से रोहतांग सुरंग को लेकर पत्राचार चलता रहा। केलंग दौरे पर बतौर प्रधानमंत्री आकर सुरंग की सौगात दे गए थे। न केवल मित्रता का वचन निभाया, बल्कि पश्चिम हिमालय में देश को सामरिक दृष्टि से सुदृढ़ करने का ऐतिहासिक कार्य कर गए। उन्होंने कहा कि अक्तूबर महीने में जैसे ही रोहतांग टनल के दोनों छोर जुड़ जाएंगे तो सैंकड़ों लाहौलियों के साथ वाजपेयी व अर्जुन गोपाल का आभार प्रकट किया जाएगा। इस दिन सुरंग के बाहर धार्मिक अनुष्ठान भी किया जाएगा।
सुरंग के लाहौली द्वार को साउथ पोर्टल कहा जा रहा है, जिसका नाम अर्जुन गोपाल के नाम पर रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विख्यात इतिहासकार छेरिंग दोरजे व अभय चंद राणा को सम्मानित किया जाएगा। सुरंग के निर्माण से स्पीति व पांगी के जीवन में जहां बर्फ की भयानक कैद खत्म होगी, वहीं पर्यटन को भी पंख लगेंगे। गौरतलब है कि डॉ. परशीरा के एक विद्यार्थी पपिंद्र सिंह ने रोहतांग सुरंग पर बकायदा पीएचडी पूरी की है।