नाहन (एमबीएम न्यूज): छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सली हमले को आज एक महीना पूरा हो गया है। मगर हमले में घायल कोलर के 25 वर्षीय महेंद्र ताउम्र इस सदमे को नहीं भूल पाएगा। गर्दन में गोली आर-पार हो गई। बावजूद इसके सुरक्षित बच गया। मौत को सामने देखकर महेंद्र कतई नहीं घबराया था। जहां तक संभव हुआ, नक्सलियों के हमले का सामना किया।
यह संयोग था कि जब आज एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने इस जांबांज सिपाही से संपर्क किया तो सुकमा हमले को एक महीना पूरा हुआ था। सुबह से कुछ नहीं खाया था। उन 25 शहीदों की शहादत को लेकर महेंद्र गमगीन था। इस बारे बोला, घर में तो एक-दो महीने ही बिताने होते हैं, लेकिन जो भारतमाता की रक्षा करते-करते आज स्वर्ग में चले गए हैं, उनके साथ तो 10 महीने का समय बीतता था।
पहला फायर साढ़े 12 बजे के आसपास हुआ था। अचानक ही 250 नक्सलियों ने सीआरपीएफ के जवानों पर हमला कर दिया। गौरतलब है कि एक महीने पहले हुए इस हादसे को लेकर 25 साल का महेंद्र इस कद्र भावुक था कि बात करते-करते गला रुंध गया। परिवार के सदस्यों का कहना है कि जब से घर आया है, तब से गुुमसुम ही रहता है। कई बार जबरदस्ती खाना देना पड़ता है।
नक्सली हमले के घायल महेंद्र सिंह ने कहा कि नाहन मेडिकल कॉलेज में उन्हें डॉ. नवीन शर्मा द्वारा बेहतरीन तरीके से उपचार दिया जा रहा है।
क्या शहीद होता तो ही सरकारी अमला आता…
कोलर में अपने घर पर कुछ दिन पहले पहुंच चुके सुकमा हमले के घायल महेंद्र की सरकारी अमले ने कोई सुध नहीं ली है। हैरान कर देने वाली बात यह है कि किसी भी प्रशासनिक अधिकारी ने इस बात की जहमत नहीं उठाई है। सवाल यह उठा है, क्या महेंद्र शहीद हो जाता तो ही सरकारी अमला व राजनीतिज्ञ उनके घर पहुंचते। गांव के हरेक परिवार का सदस्य महेंद्र का कुशलक्षेम पूछने आ रहा है। अगर कोई नहीं आया है तो वो हैं सरकार के नुमाइंदे।
बदला लेने को खौल रहा है खून..
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत के दौरान महेंद्र ने साफ कर दिया कि मौका मिला तो नक्सलियों को चुन-चुन कर मौत के घाट उतारेंगे। हमले के दिन 11 बजे एक साथ खाना खाया था, लेकिन दो घंटे में नक्सलियों की कायराना हरकत ने सबकुछ बदल दिया। बताते हैं कि उनका ट्रांसफर अब वैष्णो देवी के लिए कर दिया गया है, लेकिन अगली पोस्टिंग से पहले ठीक होकर सुकमा जाएंगे। उस जगह पर भी जाऊंगा, जहां नक्सली हमला हुआ था।