नाहन (एमबीएम न्यूज): डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज में आउटसोर्स कर्मचारियों की नियुक्तियों के मामले में बवाल मचा हुआ है। हालांकि सीधे तौर पर आवेदक सामने नहीं आ रहे हैं, लेकिन एमबीएम न्यूज नेटवर्क को लगातार इस प्रक्रिया के तरीके पर संदेश मिल रहे हैं।
शुक्रवार को दिल्ली की एक कंपनी आईएलएफएस ने लोक निर्माण विभाग के विश्रामगृह में पैरा मेडिकल समेत अन्य कर्मचारियों के साक्षात्कार रखे थे। आरोप है कि इसके लिए न तो कोई विज्ञापन सही तरीके से प्रकाशित किया गया, न ही कंपनी ने अपनी वैबसाइट का संचालन ठीक से किया। बैक डोर एंट्री से नियुक्तियां करने का आरोप है।
हालांकि पदों की कुल संख्या को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन बताया जा रहा है कि 40 पदों को डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज में आउटसोर्स के आधार पर भरा जाना है। पदों के लिए हजारों आवेदन आए, लेकिन आरोप यह है कि कंपनी ने चुनिंदा उम्मीदवारों को ही साक्षात्कार के लिए बुलाया। गौरतलब है कि कंपनी को सरकार ने टैंडर के जरिए आउटसोर्स कर्मचारियों की नियुक्ति करने की शक्तियां दी हैं।
सवाल इस बात पर है कि कर्मचारियों को कंपनी के माध्यम से ही क्यों नियुक्त किया जा रहा है। इसके लिए सरकार का अपना महकमा भी कदम उठा सकता था।
उधर मेडिकल कॉलेज की प्रधानाचार्य डॉ. जयश्री शर्मा का कहना है कि कंपनी की सेवाएं ली गई हैं। उन्होंने बताया कि कॉलेज परिसर में भी आवेदन के लिए ड्रॉप बॉक्स रखा गया था। उन्होंने कहा कि अगर कंपनी द्वारा चयनित प्रत्याशी सही नहीं पाए जाते हैं तो उन्हें हटाया भी जा सकता है।
डॉ. शर्मा ने यह भी कहा कि चयनित उम्मीदवारों को एक माह तक ट्रायल आधार पर रखा जाएगा। सेवाएं संतोषजनक न पाए जाने पर हटा दिया जाएगा। उन्होंने माना कि कंपनी से भी शिकायत मिलने पर जवाब मांगा जा सकता है।
उन्होंने साफ लहजे में कहा कि पूरी तरह से हिमाचलियों की ही नियुक्ति की जा रही है। इस बाबत कंपनी को सख्त निर्देश हैं। प्रधानाचार्या ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल उन्हीं पदों को आउटसोर्स पर भरा जा रहा है, जिनकी योग्यता पूरी करने वाले आवेदक नहीं मिलते हैं।