एमबीएम न्यूज / नाहन
चंद रोज पहले किन्नौर का कोठी स्कूल चर्चा में था, जहां स्मार्ट क्लासरूम बनाए गए हैं। नन्हें छात्रों को स्कूल का बैग कंधों पर नहीं लाना पड़ता। साथ ही हाजिरी भी बायोमीट्रिक प्रणाली से लगती है। वहीं अब सिरमौर में हरिपुरधार प्राथमिक पाठशाला छात्रों की लगातार बढ़ती संख्या के कारण चर्चा में है।
यकीन मानिए, प्राथमिक स्कूलों के शिक्षक स्कूलों में घट रही छात्रों की संख्या के कारण अपनी ट्रांसफर बचाने के मकसद से बच्चों के घरों में डोर टू डोर भी पहुंच रहे हैं, लेकिन संगड़ाह उपमंडल के तहत हरिपुरधार स्कूल में सरकारी पाठशाला निजी स्कूलों पर भारी पड़ गई है। सीधा कारण है, शिक्षा की गुणवत्ता। गत वर्ष इसी स्कूल की एक नन्हीं छात्रा की प्रस्तुति का वीडियो जमकर वायरल हुआ था। एमबीएम न्यूज नेटवर्क द्वारा अपलोड किए गए इस वीडियो को एक लाख से अधिक व्यू मिल गए थे।
पाठशाला पढ़ाई के अलावा स्पोर्टस व स्वच्छता में भी अव्वल है। आप यह भी जानकर हैरान हो जाएंगे कि भलाड़ भलौना से तकरीबन 40 किलोमीटर की दूरी तय कर छात्र इस विद्यालय में पढऩे आते हैं। इसके अलावा सामान्य तौर पर छात्र 7 से 17 किलोमीटर की दूरी भी तय करते हैं। स्कूल में कुछ खास बातें ही होंगी, जो छात्रों को मोहित करती हैं।
स्कूल से जुड़ी कुछ खास बातें
शायद ही कोई ऐसा स्कूल होगा, जहां तीन विधानसभा क्षेत्रों के बच्चे पढ़ते होंगे। इस पाठशाला में श्री रेणुका जी, शिलाई के अलावा पड़ोसी जिला शिमला के चौपाल विधानसभा क्षेत्र के बच्चे आते हैं। शिक्षकों ने अपने दम पर प्री नर्सरी कक्षाएं शुरू की हैं। 2016 में पहला ऐसा स्कूल बना, जहां वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह आयोजित होता है।
टीचर व एसएमसी अपने खर्चे पर भी नर्सरी कक्षाओं को चला रहे हैं। कुछ साल पहले इस स्कूल में बच्चों की संख्या 54 थी, जो आज बढक़र 150 तक पहुंच चुकी हैं। स्कूल की प्राथमिक पाठशाला को देखकर हर कोई हैरान होने के साथ-साथ नन्हें बच्चों की तरफ आकर्षित हो जाता है। कुल मिलाकर सवाल यह भी उठता है कि जब अपनी सकारात्मक सोच से शिक्षक स्कूल की गुणवत्ता को ऊंचे स्तर तक ले जा सकते हैं तो अन्य स्कूलों के क्यों नहीं।