सुंदरनगर (नितेश सैनी): उत्तर प्रदेश व ओडिशा की ऐसी तस्वीरें सामने आई थी, जब शव ही कंधों पर ढोए जा रहे थे। अब हिमाचल में एक ऐसी घटना सामने आई है, जब 108 एंबूलेंस न मिलने पर एक महिला रोगी को तीन किलोमीटर तक पैदल चलाया गया। इसके बाद जीप मिल जाने पर अस्पताल पहुंचे।
सुंदरनगर धारली रूट पर सौल निवासी आशा वर्कर निर्मला देवी की मंगलवार रात को तबीयत खराब हो गई। रात को करीब एक बजे के बाद उन्हें खून की उल्टी हुई, जिसे देखकर परिजन घबरा गए और अर्चना ठाकुर ने 108 एंबूलेंस सेवा के लिए फोन किया। जहां से इन्हे सौल में आने में आनाकानी की गई। इस पर रोगी ने किसी तरह स्वयं खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. अविनाश को सूचित भी किया है।
जब कोई मदद की आस नहीं रही तो निर्मला के पति दिले राम ठाकुर इन्हें पैदल ले आए, करीब तीन किलोमीटर के बाद रास्ते में जीप से अस्पताल पहुंच कर उपचार करवाया। निर्मला देवी के पति दिले राम ने बताया कि रोगी को राष्ट्रीय एंबूलेंस 108 का मजबूरी के दौरान मदद मिलने की बजाय इन्हें निराश ही नहीं किया गया। अगर इनके पास पैसा नहीं होता और समय पर अस्पताल नहीं पहुंचते तो अनहोनी भी हो सकती थी।
रात को करीब पौने दो बजे निर्मला देवी का 108 एंबुलेंस की मदद के लिए फोन आया था। लेकिन 108 हमारे नियंत्रण में नहीं आती, जो उन्हें बता दिया था।
डॉ. अविनाश पंवर, खंड चिकित्सा अधिकारी सुंदरनगर।
सौल से रात को फोन आने पर एंबूलेंस भेजने के निर्देश किए गए थे। लेकिन सडक़ खराब होने के चलते एंबूलेंस चालक ने असमर्थता जताई, पहले भी सडक़ में एंबूलेंस फंस कर क्षतिग्रस्त हो चुकी है। रोगी के परिजनों को करीब-किलोमीटर रास्ते में आने को कहा था। इससे पहले सडक़ ठीक होने पर कई बार सौल में एंबूलेंस पहुंची है।
-मुस्ताक अहमद, प्रभारी मंडी जोन राष्ट्रीय 108 एंबूलेंस सेवा