चुवाड़ी (एमबीएम न्यूज) : बच्चों को स्कूली शिक्षा की लौ से जोड़ने वाली सरकारी योजनाओं के बावजूद भी कई बच्चे इस लौ से दूर अंधकार भरा जीवन जीने को मजबूर हैं। जब इनकी उम्र के बच्चे स्कूल जा रहे होते हैं तो ये बच्चे अपनी रोजी-रोटी के जुगाड़ में लगे होते हैं। ये तो एक नजर भर है वरन् कौन जाने कितने बच्चे खेलने और पढ़ने की उम्र में कमाने में लगे रहते हैं। महानगरों में ऐसे ही बच्चे बाल मजदूरों के रूप में काम कर के अपने परिवारों का पालन-पोषण कर रहे हैं।
इन दिनों चुवाड़ी क्षेत्र में जादू का खेल दिखा रहे 12 साल के सन्नी भी ऐसे बच्चों की रहनुमाई करता है। इसका दिमाग भी तेज है, यही कारण है कि कभी स्कूल न गया ये नन्हा बालक हिंदी, अंग्रेजी और पंजाबी में अपना और कुछ दोस्तों का नाम लिख लेता है।
राजस्थान का रहने वाला सन्नी बताता है कि उसका परिवार बंजारों की तरह एक जगह से दूसरी जगह घूमते रहते हैं और यही कारण है कि वो पढ़ नहीं पाया। उसके अनुसार स्कूल जाने की इच्छा उसके मन में जरूर रहती है मगर वो नहीं जानता कि वो कभी स्कूल जा पायेगा या नहीं। उसके पिता अकल सिंह देसी दवाइयाँ बेचने का काम करते हैं तो वहीँ माँ चूल्हा-चोंका संभालती है। परिवार में एक छोटा भाई भी है।
सन्नी के अनुसार उसका परिवार कहीं एक जगह ठहर कर काम करता तो शायद वो भी पढ़ पाता मगर उसे क्या पता कि परिवार के लिए उसका कमाना जरूरी भी है। उसके मुताबिक उसके माँ-बाप निरक्षर हैं। बावजूद इसके लगन होने के कारण सन्नी अंग्रेजी की थोड़ी बहुत शब्दावली के अलावा अपना और कुछ दुसरे नाम लिख लेता है।