शिवालों मस्जिदों को छोड़ता क्यों नहीं
ख़ुदा है तो रगों में दौड़ता क्यों नहीं।।
ख़ुदा है तो रगों में दौड़ता क्यों नहीं।।
लहूलुहान हुए हैं लोग तेरी खातिर
खामोशी के आलम को तोड़ता क्यों नहीं।।
कहदे कि नहीं है तू गहनों से सजा पत्थर
आदमी के जहन को झंझोड़ता क्यों नहीं।।
पेटुओं के बीच कोई भूखा क्यों रहे
अन्याय की कलाई मरोड़ता क्यों नहीं।।
झुग्गियां ही क्यों महल क्यों नहीं
बाढ़ के रूख को मोड़ता क्यों नहीं।।
प्रकाश बादल
शिमला (हिप्र)