बद्दी (एमबीएम न्यूज): केंद्र सरकार द्वार भारत में 344 दवाओं के फार्मूलों को बैन करने से पैदा हुए संकट को लेकर हिमाचल प्रदेश व अन्य प्रांतों के दवा उद्यमियों का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से दिल्ली में उनके कार्यालय में मिला। बैठक में उत्तर भारत के विभिन्न प्रांतों के दवा उद्योग संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे।
लघु उद्योग भारती फार्मा विंग हिमाचल प्रदेश के प्रांतीय चेयरमैन राजेश गुप्ता व महामंत्री सतीश सिंगला ने बताया कि अचानक केंद्र सरकार द्वारा दवाओं के फार्मूले को बैन करने से हिमाचल सहित पूरे भारत का फार्मा जगत बुरी तरह हिल गया था। ये दवाएं पिछले 40 साल से बाजार में बिक रही थी। दवा उद्योग संगठनों के प्रतिनिधियों ने एफडीसी मुददे पर मंत्री महोदय से विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि अचानक लगे प्रतिबंध में उद्यमियों को कतई विश्वास में नहीं लिया गया। अभी बाजार में इन दवाओं का करोडों का लेन-देन लंबित है और कई उद्योगों में पुराने आर्डर उत्पादन में है। इसके अलावा कुछ स्टाक बाजार में है और करोडों रुपए का पैकिंग मटीरियल छप कर तैयार है।
उन्होंने सवाल उठाए कि जिस प्रकार फिक्स डोज कंबीनेशन को तत्काल प्रभाव से बैन किया गया है, वहीं कई उद्यमों को व्यक्तिगत तौर पर वहीं मोल्कयूल प्रैसकराईब किया गया है। संगठनों ने कहा कि केंद्र सरकार अपने फैसले पर पुर्नविचार करें, ताकि हमारा अरबों खरबों का नुक्सान न हो। केंद्रीय मंत्री ने सभी मुददों को ध्यान से सुना और लघु उद्योग भारती, हिमाचल दवा निर्माता संघ, फोप के पदाधिकारियों को भरोसा दिलाया कि उनकी समस्याओं का एक-एक करके निदान किया जाएगा। बाद में तमाम उद्योग संगठनों ने नड्डा को एक ज्ञापन भी सौंपा। इस अवसर पर लघु उद्योग भारती फार्मा विग के प्रांतीय चेयरमैन राजेश गुप्ता, सचिव सतीश सिंगला, नवीन कोहली, अशोक मदान, संजय गुलेरिया, डीसीजीआई जीएन सिंह, संयुक्त सचिव केएल शर्मा, सचिव बीपी शर्मा, अतिरिक्त सचिव केबी अग्रवाल समेत कई अधिकारी, उद्यमी व पदाधिकारी मौजूद थे।