एमबीएम न्यूज / नाहन
पूरे प्रदेश में मूसलाधार बारिश ने तांडव मचा रखा है। शायद आप विश्वास नहीं करेंगे, लेकिन हकीकत है कि चारों तरफ से प्राचीन मियां मंदिर का परिसर धंस चुका है। धंसने की शुरूआत कई साल पहले हुई थी। बावजूद इसके मंदिर अपना अस्तित्व कायम रखे हुए है। भगवान परशुराम के प्राचीन मंदिर के चारों तरफ दरारें आए अरसा बीत चुका है।
शायद कोई दैव्य शक्ति ही है, जो इस मंदिर को सुरक्षित रखे हुए है। मंदिर की रेलिंग में दरारें हैं तो भीतर पानी टपकता है। एक युवक मनोज ने अपने खर्चे से सुरक्षा दिवार की मुरम्मत करवाने का प्रयास किया। वो अपने खर्चे से मंदिर के समीप पड़े मलबे को हटाना चाहता है, लेकिन इजाजत नहीं दी जा रही। युवक का कहना है कि कई बार प्रशासन को इस बारे लिख चुके हैं। मंदिर से प्राचीन मूर्तियां चोरी हुए एक लंबा अरसा बीत चुका है, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला।
अब मंदिर की इस दयनीय हालत पर लोगों की भावनाओं को गहरी ठेस लगती है। मंदिर समिति क्यों ठोस कदम नहीं उठा पाती, यह तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन यह जरूर है कि प्राचीन मंदिर का अस्तित्व खतरे में है। शहर में एकमात्र भगवान परशुराम का मंदिर है। इतिहासकारों के मुताबिक 1740 में मियां बलदेव व उनके भाई कुशल ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। शहर की चोटी पर मंदिर का निर्माण किया था, जिसे अब बेतरतीब भवन निर्माण ने भी ढक दिया है।
सवाल इस बात पर भी है कि वो दावे कहां है, जिसमें कहा जाता है कि प्राचीन धरोहरों को संजो कर रखा जाएगा। हाल ही में नगर परिषद के 150 सालाना जश्न में हैरीटेज टाऊन को लेकर एक डॉक्यूमेंटी भी रिलीज हुई थी, जिसमें संभवत: भूलवश इस मंदिर का जिक्र नहीं किया गया होगा या फिर मंदिर की हालत ऐसी नहीं थी कि इसे शूट कर हैरीटेज भवनों की डॉक्यूमेंट्री में शामिल किया जा सकता।