हमीरपुर, 14 अप्रैल : चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की सफलता के बाद अब अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां भी इसरो (Indian Space Research Organization) से प्रभावित हैं। वे भी इसमें रुचि दिखा रही हैं। अब चंद्रयान-4 में जो लैंडर मॉडयूल (lander module) होगा वह इसरो बनाएगा और जापान की स्पेस एजेंसी जाक्सा रोवर मॉड्यूल बनाएगी। यह बात एनआईटी हमीरपुर में इसरो के वैज्ञानिक समनीत ठाकुर ने एनआईटी हमीरपुर (NIT Hamirpur) के वार्षिक टेक फेस्ट निंबस कार्यक्रम में कही। इसमें इसरो के वैज्ञानिक भी आए हैं।
फेस्ट में इंजीनियरिंग कौशल का प्रदर्शन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दो अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां (international agencies) जब आपस में कार्य करती हैं तो बहुत कुछ सीखने को मिलता है। समनीत ठाकुर जिला बिलासपुर के बरठीं के रहने वाले हैं और बरठीं से ही उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की। उन्होंने कहा कि बचपन से ही देश के लिए कुछ अलग करने की इच्छा थी। स्पेस विज्ञान (space science) का इस्तेमाल आम आदमी के जीवन में बहुत सहायता करता है। इसरो प्लेनेटरी मिशन में चुनौती और सफलताएं दोनों होती हैं।
चंद्रयान-2 की विफलताओं से मिली सफलता
उन्होंने कहा कि चंद्रयान दो में लैंडर विक्रम (Lander Vikram) से संपर्क टूटने के बाद इसरो में प्लान बनाया कि संपर्क टूटने के क्या कारण थे। कहां कमी थी और कहां और कार्य किया जाना है। अच्छे से मूल्यांकन के बाद लैंडिंग मॉड्यूल को री-डिजाइन किया गया। इसके बाद इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने वैज्ञानिकों से कहा कि असफलता को सफलता में बदलने के बारे में सोचो। इससे हमें मनोबल मिला। इसी मनोबल से चंद्रयान तीन में लैंडर व्रिकम और प्रज्ञान रोवर में सफलता मिली। चंद्रयान तीन में अच्छी लैंडिंग के बाद अब अंतरराष्ट्रीय एजेंसी (international agency) ने भी अपनी रुचि इसरो में दिखाना शुरू कर दी है।
एस्ट्रोनॉट बनने के लिए मेहनत के साथ धैर्य जरूरी
एस्ट्रोनॉट बनने का सपना देखने वाले विद्यार्थियों से समनीत कहते हैं कि मेहनत और धैर्य एस्ट्रोनॉट (Astronaut) बनने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। रोज एक ही चीज करने से उस कार्य के प्रति उदासीन नहीं होना चाहिए। रोज अगर आप उस कार्य में मेहनत करेंगे तो उसमें परिणाम अवश्य आते हैं। रिसर्च में धैर्य रखने की बहुत आवश्यकता है।
पढ़ाई का ये रखें शेड्यूल
भारत में रिसर्च में बहुत से विकल्प हैं। सभी युवाओं के लिए एक ही महत्वपूर्ण बात है कि अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पूरा फोकस (Focus) हो और धैर्य बना रहना चाहिए। स्नातक करते समय ध्यान से पढ़ना होगा। वहीं से रिसर्च के क्षेत्र में जाने के लिए सहायता मिलती है। आठ घंटे सोना, आठ घंटे पढ़ना और आठ घंटे अपने कार्य निपटने के लिए लगाएं। इसके बाद आपको बेहतरीन नतीजे मिलेंगे।
बरठीं निवासी समनीत इसरो में दे रहे सेवाएं
समनीत ठाकुर जिला बिलासपुर के बरठीं के रहने वाले हैं और बरठीं से ही उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की। इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन ट्रेड (Electronics and Communication Trade) में वर्ष 2014 में एनआईटी हमीरपुर से स्नातक की डिग्री की। उसके बाद निजी क्षेत्र में कार्य किया और अब वह सात वर्षों से इसरो में बतौर वैज्ञानिक सेवाएं दे रहे हैं।