कुल्लू, 3 मार्च : ये बहादुरी की दास्तां, एक आशा वर्कर ‘निरमा’ की है। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जनपद का मलाणा गांव (Malana Village) प्राचीन लोकतंत्र को लेकर अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर पहचान का मोहताज नहीं है। लेकिन, आज को ये इलाका न तो प्राचीन लोकतंत्र (Oldest democracy) या फिर अन्य कारण को लेकर चर्चा में नहीं है, बल्कि इस कारण चर्चा में है, क्योंकि मलाणा की आशा वर्कर (Asha Worker) निरमा ने 15 किलोमीटर का सफर बर्फीले तूफान में पैदल तय कर नौनिहालों तक ‘दो बूंद जिंदगी की’ पहुंचाई।
निरमा ने जरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से पोलियो ड्राॅप्स (Polio Drops) की किट को बर्फ के फिसलन भरे सफर में गांव तक पहुंचाया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी का कहना था कि कुल्लू जनपद में 13 ऐसे पोलिंग बूथ हैं, जो स्नो बाउंड (Snow Bound Area) हैं। इन केंद्रों में आशा वर्कर्स ने ही पोलियो ड्राॅप्स की किट को पहुंचाया। उनका कहना था कि मलाणा व ऊंची घाटी में कड़ी चुनौतियों के बीच हमारी आशा वर्कर्स ने इस कार्य को अंजाम दिया।
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उनका कहना था कि अत्यधिक बर्फ होने के कारण कुछ स्थानों पर पोलियो ड्राॅप्स नहीं पहुंच पाई। सोमवार को इन जगहों तक पोलियो ड्राॅप्स को पहुंचाने का प्रयास सोमवार को किया जाएगा।
उधर, मनाली के पलचान क्षेत्र की आशा वर्कर सेना ने भी बर्फीला रास्ता पार कर पोलियो ड्राॅप्स पहुंचाई। राष्ट्रीय अभियान के तहत रविवार को पोलियो ड्राॅप्स पिलाई जानी थी। राज्य में पिछले चार दिन से बर्फबारी व बारिश ने अभियान पर असर तो डाला, लेकिन हिम्मती आशा वर्कर्स के बुलंद हौंसलों को मौसम भी नहीं रोक पाया।
बता दें कि मलाणा की आशा वर्कर निरमा के बर्फ में सफर के दौरान के कुछ वीडियो भी सामने आए हैं, इसे देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि बर्फ की पगडंडी पर चलने के दौरान जान का खतरा किस स्तर का था। ताजा बर्फबारी में सबसे बड़ा खतरा फिसलन बनती है। आशा वर्कर्स की हिम्मत को देखकर स्थानीय ग्रामीण भी मदद करने को लेकर आगे आ रहे थे।