शिमला, 22 जून : हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ भारत के पक्षी प्रेमियों के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है। सोलन की कुनिहार तहसील की सेंचुरी में दुनिया भर से लुप्तप्राय हो रही पक्षी की प्रजाति “ग्रे क्राउन प्रिनिया” (Grey Crowned Prinia) देखी गई है। हालांकि इस पक्षी के स्थानीय “नाम” को लेकर स्थिति साफ़ नहीं हुई है। ये पक्षी देखने में साधारण “चिड़िया” लग रहा है ,लेकिन असल में ये विश्व स्तर पर खास है।
पहाड़ी प्रदेश में इस प्रजाति को पहली बार साइट किया गया है। बता दें कि इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) ने “ग्रे क्राउन प्रिनिया” बर्ड को विलुप्त हो रही प्रजातियों (Vulnerable species) की सूची में डाला हुआ है। इसी कारण हिमाचल में इसके मिलने से पक्षी प्रेमियों में खासा उत्साह है। 18 जून 2022 को इंडियन बर्ड (Indian Bird) जर्नल (journal) में पक्षी के हिमाचल में मौजूदगी के लेख को प्रकाशित कर दिया गया है। इसके बाद बर्ड की हिमाचल में मौजूदगी पर आधिकारिक मुहर भी लग गई है।
वन विभाग ने एक मार्च से 15 अप्रैल तक एक टीम को जीव जंतुओं के सर्वेक्षण (Survey) के लिए सोलन की मजाथल सेंचुरी (Majathal Wildlife Sanctuary) में भेजा था। इसी दौरान टीम को ये वर्ल्ड साइट (Bird Sight) हुआ तो सदस्य काफी उत्साहित हुए। 16 मार्च 2021 को टीम के सदस्य सेंचुरी के मुख्यालय चंडी (शिमला) लौट रहे थे। इसी दौरान टीम के सदस्य वीरेंद्र कुमार भारद्वाज ने एक छोटे से पक्षी (Small Bird) को पेड़ों पर उछल (Jumping) कूद करते हुए देखा।
कुनिहार तहसील के सकोर गांव के नजदीक पक्षी के बारे में टीम सदस्यों को अधिक जानकारी नहीं थी, लेकिन उन्हें लगा कि राज्य के लिए पक्षी की मौजूदगी कुछ खास हो सकती है, लिहाजा इसकी तस्वीरें पक्षी विशेषज्ञ को भेजी गई। टीम के सदस्यों को इस बात का संदेह था कि यह पक्षी “ग्रे क्राउन प्रिनिया” हो सकता है। पहली कोशिश में टीम के सदस्यों को विशेषज्ञों (Experts) से सटीक जानकारी नहीं मिल पाई, क्योंकि तस्वीर धुंधली थी। टीम के सदस्य वीरेंद्र कुमार भारद्वाज व राकेश्वर कपूर ने 21 मार्च 2021 को पुनः इस जगह पर जाने का फैसला लिया, उनकी खुशी का ठिकाना उस वक्त नहीं रहा जब 6 पक्षी साइट हो गए। इस दौरान हाई रेजोल्यूशन (High Resolutions) की तस्वीरें खींचने में सफलता मिल गई।
29 मार्च 2021 को टीम के सदस्य अभिनव चौधरी व राकेश्वर कपूर ने एक बार फिर पक्षियों के हैबिटैट को ढूंढने के मकसद से दौरा किया। खास तकनीक से पक्षियों के दीदार हो गए। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में टीम के सदस्य राकेश्वर कपूर ने बताया कि 1500 मीटर के ट्रैक के बाद पक्षियों की एक बार फिर साइटिंग की गई। 27 जून 2021 को टीम के सदस्य अभिनव चौधरी ने बर्ड लवर व पक्षी विशेषज्ञ पीयूष डोगरा के साथ पक्षी की प्रजाति को लेकर दोबारा मौके पर साइटिंग की। राकेश्वर कपूर ने बताया कि यद्यपि सीधा साक्ष्य नहीं मिल पाया लेकिन यह पूरी उम्मीद है कि मजाथल वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में दुनिया भर से खतरे में पक्षी की प्रजाति की ब्रीडिंग (Breeding) भी हो रही है।
टीम के सदस्यों ने पाया कि इस क्षेत्र में मानवीय दखल काफी बढ़ चुकी है, इस क्षेत्र में 17 बस्तियां हैं, जिनकी आबादी 650 के आसपास हैं। टीम की सबसे बड़ी चिंता यह थी कि इस इलाके में जंगलों की आग भी काफी सामान्य है। लिहाजा इस सेंचुरी में जंगलों की आग पक्षियों की इस प्रजाति के लिए सबसे बड़ा खतरा हो सकती है। टीम के सदस्य वीरेंद्र कुमार भारद्वाज व राकेश्वर कपूर ने वाइल्ड लाइफ डिवीजन शिमला के डीएफओ कृष्ण कुमार का सहयोग देने पर आभार प्रकट किया है, वही अभिषेक चौधरी ने टीम का सहयोग करने पर वर्ल्ड विशेषज्ञ प्रेमी पीयूष डोगरा व मनोज शर्मा का भी आभार प्रकट किया है।
बता दें कि सांपों के प्रजातियों के साथ-साथ वन्य जीव जंतुओं पर शोध करने वाले चंबा के राकेश्वर कपूर मौजूदा में पंजाबी यूनिवर्सिटी (Punjabi University) पटियाला से जीव विज्ञान में पीएचडी कर रहे हैं। उनका यह भी कहना था कि प्रदेश में पक्षियों की प्रजातियां ( bird species) मिलना अच्छा संकेत है।