नाहन, 15 फरवरी : शहर को स्थापित हुए 400 बरस हो चुके हैं। ऐतिहासिक शहर से जुडे़ कई रोचक तथ्यों को एमबीएम न्यूज नेटवर्क इस मौके पर खंगाल रहा है। उत्तर भारत के सबसे बड़ी पहाड़ी रियासत में शुमार सिरमौर की राजधानी में पहली बार कार 22 अक्तूबर 1910 को आई थी। यानि स्थापना के 289 सालों बाद रियासत की राजधानी में पहली बार कार आई थी। इस कार में तत्कालीन पंजाब स्टेट के लेफ्टिनेंट गर्वनर सर लुईस डेन ने बराड़ा-कालाअंब मार्ग से नाहन का सफर तय किया था। लेकिन इससे पहले अंबाला में सेवारत चीफ इंजीनियर ने सड़क का निरीक्षण किया था।
ये भी पढ़े 400 बरस का नाहन, जानिए हाथी की कब्र से जुड़ा रोचक इतिहास…कहां से आया था बृजराज
आपके जहन में यह सवाल उठ रहा होगा कि इससे पहले यातायात की व्यवस्था किस तरह की होती थी। इतिहासकारों की मानें तो बग्घी की सेवाएं ली जाती थी। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन हरियाणा के बराड़ा में था। बाद में छोटी बसनुमा वाहनों को भी सफर के लिए ब्रिटिश हुकूमत ने चलवाया था। हालांकि 18वीं शताब्दी में महाराजा शमशेर प्रकाश ने कालाअंब से नाहन तक जीप योग्य मार्ग बना लिया था। लेकिन इस पर कारों का चलन 1910 के बाद ही शुरू हुआ। महाराजा शमशेर प्रकाश द्वारा बनवाई गई कालाअंब-बराड़ा कार्ट रोड पर 1934 में दो पुलों का निर्माण किया गया। मोटर कार, जीपों के अलावा इस रोड पर बैलगाड़ियों का भी आवागमन शुरू हुआ। बहराल से जगाधरी मार्ग का निर्माण 1945 से 1946 के बीच हुआ।
ये भी पढ़े नाहन : जब बाबा बनवारी दास ने तपोस्थली को राजा को दिया था सौंप, 400 वर्ष का हुआ शहर
सिरमौर रियासत के अंतिम शासक राजेंद्र प्रकाश के कार्यकाल के दौरान निजी व स्टेट सेक्टर में ट्रांसपोर्ट में व्यापक सुधार शुरू हुआ था। आजादी के बाद भी ट्रांसपोर्टेशन के लिए बैलगाड़ी का इस्तेमाल किया जाता था। निजी ठेकेदारों को तांगा सेवा के स्थान पर निजी बसें चलाने का भी अनुबंध मिला था। शुरूआती दौर में 137 वाहन पंजीकृत किए गए थे। केवल एक बात सामान्य है। शहर को उस समय मैदानी इलाकों से जोड़ने के लिए कालाअंब मार्ग था। आज भी वही मार्ग है। इसके अलावा शेष हिमाचल को जोड़ने के लिए तब भी कुम्हारहट्टी मार्ग था, आज भी वहीं बरकरार है।
MBM News Network की ताजा खबरों के लिए आप ज्वाइन कर सकते हैं व्हाट्सएप ग्रुप
उधर, राजघराने के सदस्य व इतिहासकार कंवर अजय बहादुर सिंह ने भी माना कि शहर में पहली बार कार 22 अक्तूबर 1910 को पहुंची थी।
इतिहास के मुताबिक भारत की सड़कों पर पहली बार 1897 में पहली कार दौड़ी थी। 1930 तक कारों को विदेशों से आयात किया जाता था। भारत में पहली कंपनी हिन्दुस्तान मोटर्स को 1942 में लाॅन्च किया गया था।