नाहन : कहीं पच्छाद उप चुनाव में 1982 के ठीक वैसे हालात तो नहीं पैदा हो रहे, जैसे नाहन हलके में भी 2003 में पैदा हुए थे। दरअसल 1982 में पच्छाद की राजनीति में एक शून्य पैदा हो गया था। यही कारण था कि गंगूराम मुसाफिर 9805 मत लेकर जीत गए थे। चुनाव में 56.06 प्रतिशत मतदान हुआ था। 21 साल बाद नाहन हलके की राजनीति में भी इसी तरह का शून्य पैदा हुआ।
कांग्रेस व भाजपा से मोह भंग होने पर लोजपा प्रत्याशी सदानंद चौहान विधायक बन गए। चौहान को 14551 मत पड़े थे, जबकि कांग्रेस के कुश परमार को 13,360 मत प्राप्त हुए थे। अब अगर पच्छाद हलके के हो रहे उप चुनाव पर भी नजर दौड़ाई जाए तो भाजपा को इस कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि बगावत कर मैदान में उतरी दयाल प्यारी भारी पड़ रही है। सरकार ने पूरी ताकत इस चुनाव पर झौंक रखी है। नजरें इस बात पर भी टिकी हुई हैं कि क्या 27 साल बाद पच्छाद हलका इतिहास को दोहराएगा या नहीं।
1982 में विधानसभा चुनाव का मुद्दा 19 मई को हुआ था। जबकि 2003 में 26 फरवरी को वोट पड़े थे। इस चुनाव में 21 अक्तूबर को वोट डल रहे हैं। इन तिथियों को लेकर भी ज्योतिष गणना चल रही है। कुल मिलाकर देखना यह भी है कि कांग्रेस प्रत्याशी गंगूराम मुसाफिर हार की हैट्रिक रोक पाते हैं या नहीं, या फिर बीजेपी विधानसभा में जीत की हैट्रिक बनाती है। आजाद प्रत्याशी दयाल प्यारी भी इतिहास बनाने के लिए आतुर नजर आ रही हैं।