एमबीएम न्यूज़/ पांवटा साहिब
पांवटा साहिब में बुधवार को स्थानीय उद्योगपतियों को ईएसआई की विस्तृत जानकारी प्रदान करने हेतु कार्यशाला का आयोजन किया गया। औद्योगिक क्षेत्र गोंदपुर स्थित चैंबर्स ऑफ़ कामर्स भवन में आयोजित इस एक दिवसीय कार्यशाला में ईएसआई रीजनल डायरेक्टर दीपक जोशी ने बतौर मुख्यातिथी शिरकत की।
इस दौरान उद्योगपतियों को कर्मचारी भीमा योजना (ईएसाअई) के बारे जानकारी देते हुए क्षेत्रीय निदेशक ने बताया कि जिस भी उद्योग में 10 या उससे ज्यादा कर्मचारी कार्यरत होंगे उसमें ईएसआई लागू करना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि यह एक सेल्फ फाईनेंस कंपनी है जोकि सरकार बिना कोई अनुदान लिए कार्य करती है। इसके नियमों के तहत कर्मचारी की मूल सेलेरी का 6.5% ईएसआई को जाता है, जिसमें से 4.75% कंपनी अदा करती है तथा शेष 1.75% कर्मचारी से लिया जाता है।
रीजनल डायरेक्टर ने बताया कि इसके बदले ईएसआई कर्मचारियों कई तरह की सेवाएं मुहैया कराती है। जिसमें सस्ती मेडिकल सुविधा, सुपर स्पेशल्टी ट्रीटमेंट आदि शामिल हैं। इसके साथ ही हाल ही में किए गए नए बदलाव के अनुसार कंपनी में कार्यरत कर्मचारी की किसी हादसे में मौत हो जाने के बाद उसकी विधवा को प्रति वर्ष मात्र 120 रूपये देकर साल भर इस स्कीम का लाभ मिल सकेगा।
क्षेत्रीय निदेशक ने ईएसआई की कार्यप्रणाली बारे विस्तार से बताते हुए कहा कि यह स्कीम देशभर के कुल 33 राज्यों में 325 जिलों काम कर रही है। कार्पोरेशन के 61 रीजनल, 630 ब्रांच, 185वे व 401 इंस्पेक्शन आफिस हैं। जबकि हिमाचल के कुल 7 जिलों में अभी तक यह स्कीम पूर्ण तरीके से लागू हो चुकी है। इस स्कीम के तहत देशभर में करीब 3.19 करोड लोगों को लाभ मिल रहा है जिसमें 2.93 करोड कर्मचारी शामिल हैं।
देशभर में ईएसआई के कुल 151 अस्पताल, 1489 डिस्पेंसरी व 7828 डॉक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वहीं इस बारे चैंबर्स ऑफ़ कामर्स के अध्यक्ष सतीश गोयल ने बताया कि ईएसआई के बारे कम जानकारी होने के कारण इसका पूरा लाभ नहीं लिया जा रहा था। अब हाल ही में इसमें कुछ नई चीज़ें शामिल की गई हैं। जिसकी पूर्ण जानकारी देने के लिए बुधवार को रीजनल आफिस बद्दी से क्षेत्रीय निदेशक दीपक जोशी स्वयं यहां पहुंचे हैं।
चैंबर्स अध्यक्ष सतीश गोयल ने कहा कि पांवटा में ईएसआई के अंतर्गत कर्मचारियों की अधिक संख्या होने के कारण अब यहां 30 बिस्तरों वाले 2 अस्पताल खोए जाने की मांग निदेशक के समक्ष रखी गई है। 1 ऐंबुलेंस भी मांगी गई है। इसके अतिरिक्त आईपी के लंबित पडे बिलों को शीघ्र पास करने तथा कंपनी द्वारा दुर्घटना ग्रस्त हुए कर्मचारी पर मेडिकल सुविधा के दौरान खर्च की गई। राशि को अधिक्तम 3 माह में रिफंड किए जाने की बात मुख्य तौर पर रखी गई है। जिसे शीघ्र पूरा करने का आश्वासन निदेशक की ओर से दिया गया है।
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