नाहन (एमबीएम न्यूज): सूबे में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। जमीनी हकीकत यह भी है कि सैंकड़ों प्राथमिक स्कूल जुगाड़बाजी मतलब डैपुटेशन से चल रहे हैं। यहां एक शिक्षक की जुगाड़बाजी का मामला सामने आया है। दरअसल साहब 2013 तक बीआरसी के पद पर तैनात रहे। तकरीबन चार साल का वक्त कोर्ट से स्टे लेकर इसी पद पर निकाल दिया। चूंकि शिक्षक महोदय कफोटा ब्लॉक के ही रहने वाले हैं, लिहाजा प्राथमिक शिक्षक रंगी लाल को प्राथमिक पाठशाला सनौर में तैनाती दे दी गई।
यहां एक लंबे अरसे से नियमित शिक्षक नहीं है। 40 छात्रों को पढ़ाने के लिए प्रतिनियुक्ति का सहारा विभाग को लेना पड़ रहा है। 18 अक्तूबर 2017 को आदेश जारी हुए थे। लेकिन साहब ने सनौर प्राथमिक पाठशाला में ज्वाइनिंग न देने की ठान रखी थी। लिहाजा 9 फरवरी 2018 को प्रारंभिक शिक्षा उपनिदेशक कार्यालय से आदेश को शावड़ी स्कूल के लिए मॉडिफाई करवा लिया गया। आप यह जानकर हैरान होंगे कि इस स्कूल में महज 12 छात्र ही हैं। इनके लिए भी नियमित शिक्षक मौजूद है। अब सनौर स्कूल के बच्चे उस स्कूल में पढ़ रहे हैं, जो टीचरलेस है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क को इस मामले से जुड़े तमाम आदेशों की प्रतिलिपियां उपलब्ध हुई हैं। कुल मिलाकर बड़ा सवाल यही है कि सनौर में पढऩे वाले बच्चों का क्या कसूर है, जिन पर शिक्षक की जुगाड़बाजी भारी पड़ गई है। उधर प्रारंभिक शिक्षा विभाग के कार्यवाहक उपनिदेशक सुधाकर शर्मा का कहना है कि इस मामले की जांच करने के बाद ही कुछ कह सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह भी देखना होगा कि वास्तव में सनौर स्कूल में कोई नियमित शिक्षक वाकई में नहीं है। आदेश अगर मॉडिफाई हुए हैं, तो किन कारणों से हुए हैं। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर शिक्षक रहित स्कूलों में नियमित शिक्षकों को तैनात करने की प्राथमिकता रहती है।
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