शिमला (एमबीएम न्यूज): प्रदेश के राजभवन में दूषित पेयजल आपूर्ति की खबरें आ रही हैं। आम शख्स इस खबर को जानकर हैरत में ही पड़ेगा, क्योंकि सवाल इस बात पर उठ रहा है कि जब राजभवन के जल भंडारण टैंक ही दूषित हैं तो आम लोगों का क्या हश्र हो सकता है।
संत श्री रविदास धर्मसभा के प्रदेश अध्यक्ष कर्म चंद भाटिया ने राज्यपाल आचार्य देवव्रत के राजभवन की रसोई में गंदे पानी की सप्लाई पर चिंता प्रकट की है। उन्होंने कहा कि इस तरह की लापरवाही की जितनी भी आलोचना की जाए, कम है। उन्होंने जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की है।
खास बात यह है कि सूबे के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बार-बार पेयजल भंडारण टैंकों की सफाई के आदेश दे रहे हैं, लेकिन विभाग जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। सनद रहे कि भंडारण टैंकों की सफाई की गलत रिपोर्ट देने पर आईपीएच मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर खासे बिफर गए थे। मौके पर ही एसडीओ व जेई को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए थे।
दैनिक जागरण की खबर के मुताबिक राज्यपाल को बुधवार को सिरदर्द की शिकायत हुई। इसके बाद आईजीएमसी में चैकअप करवाया गया। इसकी वजह दूषित पानी का सेवन बताया गया। आईपीएच विभाग ने वीरवार सुबह ही राजभवन के जल भंडारण टैंकों के आसपास की सफाई ताबड़तोड़ तरीके से शुरू कर दी।
अखबार को दिए गए बयान में राजभवन के कनिष्ठ अभियंता प्रदीप सिंह ने कहा है कि 29 जनवरी को राजभवन के मुख्य टैंक की सफाई की गई। इससे पहले अगस्त 2017 में टैंक की सफाई की गई थी। बहरहाल मामले ने कई सवाल पैदा किए हैं। नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या साहस जुटाकर आईपीएच महकमा राजभवन के टैंकों की सफाई में कोताही की बात को स्वीकार करेगा या हमेशा की तरह खंडन किया जाएगा।