मंडी (वी कुमार) : अपनी जान देकर वन रक्षक होशियार सिंह ने जंगलो की रक्षा में कोताही की पोल खोली है। एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क को होशियार सिंह के सुसाइड नोट के दो पन्ने मिले है, जिनमे से एक इंगलिश में है। इससे यह काफी हद तक साफ़ हो जाता है कि दरख्तों पर चल रही कुल्हाड़ी ने उसे हिला कर रख दिया था। अपने ही विभाग के कर्मियों व अधिकारियो की मिलीभगत से होशियार सिंह खुद को बेबस समझ रहा था। मंगलवार को होशियार सिंह को न्याय दिलवाने के मकसद से हुए प्रदर्शन में होशियार सिंह को शहीद का दर्जा देने की मांग भी की गई। बहरहाल आज वह तमाम लोग सलाखों के पीछे है, जिन्होंने होशियार सिंह को मौत को गले लगाने पर विवश कर दिया, बूढी दादी की घर पर आंखे पथरा चुकी है।
सुसाइड नोट :
प्रिय दादी मां मेरा अंतिम प्रणाम स्वीकार करना
मैं कभी भी आपके कर्ज को नहीं उतार पाऊंगा, अगले जन्म में फिर इंसान बनने का मौका मिला तो मैं आपकी कोख से पैदा होने की इच्छा रूखूंगा। मेरे लिए कभी आंसू मत बहाना क्योंकि मैं सदा आपको मुस्कुराता हुआ देखना चाहूंगा। संसार में सबसे ज्यादा सम्मान या प्यार मैं किसी से करता हूं तो वह हैं मेरी दादी मां, जिसने सदा अपने से पहले मेरे बारे में सोचा। अंत में मैं आपका आर्शीवाद चाहता हूं और मैं दुआ करता हूं कि अगले जन्म में आप ही मेरी माता बनें। आपके ऋण को शायद ही मैं कभी उतार पाऊंगा ये जन्म तो क्या में हजारों जन्म भी ले लूं तब आपके ऋण से मुक्त नहीं हो सकता हूं। मैं हमेशा आपके इर्द-गिर्द रहूंगा। सनद रहे, दिवंगत होशियार सिंह के माता व पिता का निधन उसके बचपन में ही हो चूका था ,बूढ़ी दादी ने ही उसे पाला था।
दूसरे पन्ने में इन बातों का किया है जिक्र
शिल्ही सेरी का गांव तस्करों से भरा हुआ है। लाभ सिंह, हेत राम और कई अन्य तस्कर इसी गांव में हैं। इसने तो अपने घर कटर भी लगाया हुआ है। अनील कुमार भी तस्कर है और इसने सेरी कटांडा का घनश्याम सबसे बड़ा तस्कर है और बीओ इससे मिला हुआ है। तेगी लाला से 20 बैग सीमेंट के उधार लिए हैं। रेस्ट हाउस महोग के लिए इसका बिल आर ओ मगरू और बीओ तेज राम वर्मा देगा।
बिहारियों को टाल लगाने का ठेका 17 रुपए स्कवेयर फीट के हिसाब से दिया है तथा कच्चा फर्श डालना 8 रुपए के हिसाब से दिया है। मैं चाहूंगा की वन विभाग इन गरीब लोगों के पैसे को जल्द से जल्द दे। और तेज राम चोर है। उसी ने जंगल में पेड़ कटवाए और लोगों को मजदूरी के पैसे नहीं दिए। स्मग्लिंग को बढ़ावा भी इसी व्यक्ति ने दिया। कोर्ट की मनाही के बाबजूद भी इसने लोगों को ग्रीन टीडी दी, इसी का कारण मैं भी जान देने के लिए मजबूर हो गया हूं। इस तरह के अधिकारी को टरमीनेट कर देना चाहिए। इसका दुर्व्यबहार असहनीय है। बाकी डिटेल में लिखा पत्र मेरे सरकारी निवास कतांडा में है।
कमरे से मिले सुसाइड नोट, दूसरे पन्ने में
वन रक्षक गिरधारी लाल को भी कड़ा दंड दिया जाए क्योंकि उसने भी बहुत से पेड़ कटवाएं हैं तस्करों से मिल कर। जंगललात के सभी आला अफसरों की संपंति की जांच की जाए। एक और महत्वपूर्ण बात वन रक्षक को सुरक्षा मुहैया करवाई जानी चाहिए। अंत में वन विभाग से एक विनती करना चाहता हूं कि मेरा जो लंबित वेतन है, उसे मेरी दादी जी के पास दे दिया जाए। मैंने 3000 हजार रुपए अपने एक मित्र धीरज कुमार चंदेल जो कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में ऑफिस अस्सिटेंट के पद पर कार्यरत्त है, से लिए हैं, उन्हें भी लौटा दिया जाए।
15000 मेरे चाचा परस राम को दिए जाए, क्योंकि उन्हें मेरे लिए बहुत व्यय किया है। जो बचे उसे मेरी दादी को दे दिया जाए। मैं कुछ एक वन तस्करों के नाम भी सबसे सामने उजागर करना चाहता हूं और चाहता हूं कि उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाई अमल में लाई जाए। हेत राम शिल्ली सेरी गांव निवासी है। घनश्याम सिंह सेरी कटांडा का निवासी ये दो बड़े तस्कर हैं। मेने जो भी लिखा है अपने पूरे होशो हवास में लिखा है। लिखना तो बहुत कुछ था पर मेरे पास समय का अभाव है। इसलिए इतना ही लिख पा रहा हूं।
नोट. : 140 रुपए महोग के एक पंडित दुकानदार को भी देने हैं।