रेणु कश्यप /नाहन
दैनिक दिहाड़ीदार के बेटे मिल्ला राम चौहान ने अपने सपनों को साकार करने में सफलता पा ली है। हर कोई एक्साइज इंस्पेक्टर बनकर मलाईदार स्टेशन पर तैनाती चाहता है, लेकिन 26 साल का यह लाल सहायक प्रोफैसर बनना चाहता था।
एलाइड परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद 2016 में एक्साइज इंस्पेक्टर भी बन गया। इस वक्त बद्दी में तैनात है। लेकिन हाल ही में जब मिल्ला राम चौहान को कॉमर्स में सहायक प्रोफैसर बनने की खबर मिली तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। एचएएस (मेन्स) की परीक्षा कई बार उत्तीर्ण कर चुके हैं, लेकिन किस्मत साथ नहीं दे रही। ट्रांसगिरि के जरवा-जुनैली गांव में जमा दो की पढ़ाई करने के बाद शिमला पहुंचे। संजौली कॉलेज से बी कॉम की पढ़ाई सीमित आर्थिक संसाधनों में पूरी की।
2014 में एम कॉम में एचपीयू में दाखिला मिल गया। आप यह भी जानकर हैरान हो जाएंगे कि एम कॉम के दूसरे समेस्टर की पढ़ाई के दौरान ही मिल्ला राम चौहान ने नेट के साथ जेआरएफ की परीक्षा उत्तीर्ण कर डाली। संभवत: ऐसा करने वाले प्रदेश में पहले ही छात्र रहे होंगे। पढ़ाई के प्रति गहरी रूचि रखने वाले मिल्ला राम चौहान दिसंबर 2015 से पीएचडी की पढ़ाई भी कर रहे हैं। इसके लिए प्रदेश विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर सुनील गुप्ता को गाइड बनाया है।
कॉमर्स संकाय में सहायक प्रोफैसर बने मिल्ला राम ने यह सफलता दूसरे प्रयास में हासिल की है। ओपन कैटेगरी में उन्हें आठवां रैंक मिला है। संभवत: एक लंबे अरसे से सिरमौर से कॉमर्स संकाय में सहायक प्रोफैसर बनने वाले मिल्ला राम पहले युवा हैं।
क्या है पारिवारिक पृष्ठभूमि..
कामयाबी की सीढिय़ां चढ़ रहे 26 वर्षीय मिल्ला राम चौहान के पिता दिहाड़ीदार मजदूर हैं। दो छोटे भाई व तीन छोटी बहनें हैं। एक बहन संजौली कॉलेज में ही पढ़ रही है। बहन-भाईयों में सबसे बड़े मिल्ला राम चौहान नौकर हासिल करने के बाद परिवार को आर्थिक मदद देने लगे हैं। उनका कहना है कि माता-पिता ने दिन-रात खेतों में मेहनत कर उन्हें पढ़ाई करने की सहूलियत प्रदान की। उनका कहना है कि माता-पिता से बढक़र अपनी सफलता का श्रेय किसी को नहीं दे सकते।
12 जुलाई 1992 को जन्में मिल्ला राम चौहान की सफलता इस कारण भी बड़े मायने रखती है क्योंकि ग्रामीण पृष्ठभूमि में गरीब परिवार से निकल कर इस मुकाम पर पहुंचना असंभव तो होता है, लेकिन मुश्किल भी नहीं।
देखिए विडंबना…
नाहन के डॉ. वाईएस परमार पीजी कॉलेज में एक लंबे अरसे से कॉमर्स संकाय में कोई भी शिक्षक तैनात नहीं है। शनिवार को भी छात्रों ने इस मसले पर हल्ला बोला। जमा दो की बोर्ड परीक्षा की मैरिट सूची के टॉप-5 स्थानों पर हाल ही में सिरमौर ने जबरदस्त डंका बजाया था। विडंबना यह है कि कॉलेज में पढऩे वाले छात्रों को टीचर नसीब नहीं है।
Latest
- लोकतंत्र के महापर्व पर DC किन्नौर ने किया अपने मताधिकार का प्रयोग
- शिमला संसदीय क्षेत्र में 71.26 % हुआ मतदान, नाहन में सबसे ज्यादा व कसुम्पटी में सबसे कम मतदान
- मंडी संसदीय क्षेत्र में लगभग 72.32 प्रतिशत रहा मतदान
- Watch : हिमाचल के मतदान से जुड़ी रोचक व खास तस्वीरें…
- सिरमौर में 74.65% मतदान, नाहन में बंपर वोटिंग…80% पहुंची मत प्रतिशतता