शिमला (शैलेंद्र कालरा): प्रदेश में 1809 ठेकों की बजाय 1014 की नीलामी होगी। 2017-18 के लिए रिन्यूअल की प्रक्रिया को नहीं अपनाया जाएगा, बल्कि नीलामी-टैंडर की प्रक्रिया को लागू किया गया है। 2008 में इस प्रक्रिया को बंद करके रिन्यूअल का तरीका अपना लिया गया था। इस बदलाव के पीछे बड़ी वजह मानी जा रही है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को लागू किया गया है, जिसमें कहा गया था कि नेशनल हाईवे पर 500 मीटर के दायरे में ठेके नहीं होंगे। विभाग ने ऐसे 795 ठेकों को चिन्हित किया, जो नेशनल हाईवे की जद में आ रहे थे। विभाग की टेंशन यह थी कि शराब के कारोबार की कमाई को कैसे पूरा किया जाए। लिहाजा रिन्यूअल की बजाय खुली बोली करने का फैसला लिया गया है। 2016-17 में शराब के कारोबार से 1300 करोड़ की कमाई का लक्ष्य निर्धारित हुआ था।
जनवरी महीने तक विभाग 1036 करोड़ बटोर चुका है। लाजमी तौर पर इसमें 15 प्रतिशत के आसपास वृद्धि का लक्ष्य तय होना था। सरकार ने नई एक्साइज पॉलिसी को मंजूरी देते हुए नई व्यवस्था लागू की है। इस बारे अधिसूचना जारी हो गई है।
उधर आबकारी व कराधान विभाग के संयुक्त आयुक्त रोहित चौहान ने एक्साइज पॉलिसी मंजूर होने की पुष्टि करते हुए कहा कि 2017-18 के लिए नीलामी की प्रक्रिया को लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि 18 मार्च से 22 मार्च तक नीलामी का शैडयूल जारी कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि ओपन टैंडर भी होंगे, जिन्हें नीलामी के बाद खोलने की योजना है।
चुनाव कर सकते हैं विभाग की टेंशन कम…
हर साल एक्साइज पॉलिसी बनते ही विभाग के सामने लक्ष्य अर्जित करने की चुनौती पैदा हो जाती है। इस साल तो ठेकों की संख्या भी कम है। ऐसे में विभाग की टेंशन लाजमी है। लेकिन अहम बात यह है कि इस साल के अंत में हिमाचल विधानसभा के चुनाव भी हो रहे हैं। लिहाजा शराब ठेकेदारों की दिलचस्पी कारोबार में हो सकती है। यही बात विभाग को अंदरखाते राहत दे रही है। चुनावी समय में शराब की बिक्री में उछाल आने की संभावना रहती है।
महंगी हो सकती है शराब…
एक अप्रैल के बाद प्रदेश में शराब महंगी होने की पूरी संभावना है। इसकी पहली वजह यह है कि ठेकों की संख्या घट रही है, लेकिन राजस्व का लक्ष्य बढ़ा है। स्वाभाविक सी बात है कि ठेकों की नीलामी महंगी दरों पर करने की विभाग पूरी कोशिश करेगा। इसका असर रिटेल बिक्री पर पड़ेगा। ठेकों की नीलामी जिस इलाके में जितनी महंगी होगी, उतनी ही महंगी दारू हो जाएगी। हालांकि विभाग ने कोटे को नहीं बढ़ाने का फैसला लिया है, लेकिन एल-14 व एल-02 की लाईसेंस फीस में इजाफा भी कीमतों पर असर डालेगा।