नाहन, 14 अप्रैल : हिमाचल प्रदेश में 241 साल पहले वजूद में आए शमशेर विद्यालय में पूर्व छात्रों की टोली ने स्कूली जीवन का स्मरण किया। खास बात ये थी कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय (HP High Court) के जस्टिस वीरेंद्र सिंह भी विद्यालय के पूर्व छात्र रहे हैं। निजी प्रवास पर विद्यालय पहुंचे जस्टिस वीरेंद्र सिंह (Justice Virendra Singh) की सादगी देख समूचा स्कूल स्टाफ भी दंग रहा।
विद्यालय के प्रिंसिपल भी न्यायधीश का सत्कार देखकर हैरान थे। वो बार-बार कहते रहे, सर आपका प्रोटोकाॅल है, लेकिन उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि वो आज एक पूर्व छात्र के तौर पर आए हैं, यहां आप ही अपनी सीट पर बैठेंगे। संकोच हो रहा है तो मैं आपके साथ खड़ा होकर तस्वीर क्लिक करवा लेता हूं। उच्च न्यायालय के न्यायधीश का सादगी भरा ऐसा व्यवहार वास्तव में ही एक प्रेरणा भी है।
1982 में जस्टिस वीरेंद्र सिंह शमशेर वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला (Shamsher Senior Secondary School Nahan) में 10वीं के सी सैक्शन में पढ़ा करते थे। इस दौरान जस्टिस वीरेंद्र सिंह के साथ नाहन के रहने वाले कई छात्र भी मौजूद थे। 14 नवंबर 1966 को सोलन में जन्में जस्टिस वीरेंद्र सिंह ने दसवीं की पढ़ाई शमशेर स्कूल से की है। 1991 में पंजाब व हरियाणा बार काउंसिल में पंजीकृत होने के बाद 1992 में यमुनानगर के जिला न्यायालय में प्रैक्टिस शुरू की थी। शमशेर विद्यालय में करीब दो घंटे बिताने के दौरान जस्टिस वीरेंद्र सिंह ने स्कूल के उत्थान में किए जा रहे कार्यों की भी प्रशंसा की।
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायलय में जस्टिस वीरेंद्र सिंह ने 16 अगस्त 2022 को बतौर न्यायधीश सेवाएं शुरू की थी। विद्यालय के प्रधानाचार्य राजकुमार चौहान ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कहा कि 1982 बैच के करीब डेढ़ दर्जन छात्र शनिवार को विद्यालय आए थे। इस दौरान जस्टिस वीरेंद्र सिंह ने उस कक्षा को भी देखा, जहां वो पढ़ा करते थे।
स्कूल के प्रधानाचार्य ने बताया, जस्टिस वीरेंद्र सिंह का ये निजी दौरा था। इस दौरान वो अपने दोस्तों से खूब बतियाए। साथ ही ये भी बताया कि 1982 में विद्यालय कैसा हुआ करता था।
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गौरतलब है कि विद्यालय की विजिटर बुक में जस्टिस वीरेंद्र सिंह ने लिखा कि 42 साल बाद स्कूल में आकर अच्छा लगा है। वो, 1982 में दसवीं कक्षा के सी सेक्शन में पढ़ा करते थे।
उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की जस्टिस ज्योत्सना रेवाल दुआ का जन्म नाहन में हुआ है, वो मूलतः सिरमौर की ही रहने वाली हैं। पांवटा साहिब में पैतृक घर भी है।
@R1