शिमला, 10 अप्रैल : हिमाचल प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों के राजनीति-विज्ञान के लगभग 50 आचार्यों ने वार्षिक परीक्षाओं में आ रहे प्रश्न पत्रों में तय मानदंडों को पूरा न करने पर एचपीयू के परीक्षा नियंत्रक को ज्ञापन भेजा। इसमें लगातार तीन प्रश्न पत्रों में आई गड़बड़ी पर सभी ने चिंता व्यक्त की है। 2 अप्रैल को हुई राजनीति-विज्ञान विषय की परीक्षा में प्रश्न संख्या 102 का 80 प्रतिशत हिस्सा पाठ्य-समिति द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक न होने पर प्रदेश भर में विद्यार्थियों ने भी परीक्षा नियंत्रक को ज्ञापन भेजे थे।
इसके अलावा 30 मार्च को राजनीतिक सिद्धांत (पेपर कोड 101) के प्रश्न पत्र में भी शिकायत आई कि जो प्रश्न पिछले वर्ष सरदार पटेल यूनिवर्सिटी, मंडी के अधीन महाविद्यालयों में पूछे गए थे। वही इस वर्ष एचपीयू के अधीन महाविद्यालयों के विद्यार्थियों से भी पूछे गए। इसके अलावा अन्य प्रश्न पत्रों में भी विश्वविद्यालयों द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का अनुसरण नहीं किया गया है। आचार्यों ने ज्ञापन में इस तरह के गैर जिम्मेदाराना रवैये की घोर निंदा की है। विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग की है कि उक्त प्रश्न पत्रों में आई समस्याओं के निवारण के लिए जांच कमेटी बनाई जाए। जिसमें महाविद्यालयों के वरिष्ठ आचार्य भी आमंत्रित किए जाएं।
शिक्षकों का कहना है कि उच्च शिक्षा में गुणवत्ता लाना एक बड़ी चुनौती है। उच्च शिक्षा को बेहतर बनाना आज सभी हितधारकों चाहे वह शिक्षक है या विद्यार्थी या विश्वविद्यालय प्रशासन सभी की सामूहिक जिम्मेवारी है। चूंकि इस वर्ष सरकार प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करना चाहती है, जिसके लिए वांछित आधारभूत संरचना का अभाव बड़ा प्रश्न है।
ज्ञापन में आचार्यों ने अपील की है कि पहले वर्तमान व्यवस्था की खामियों को दुरुस्त करना अति आवश्यक है, तभी हम नई नीति के लिए बेहतर संरचना तैयार कर सकते हैं। ज्ञापन में आचार्यों ने मूल्यांकन प्रक्रिया को बेहतर करने के लिए सुधार करने का आह्वान किया है और विश्वविद्यालय प्रशासन से जल्द-से-जल्द इस बाबत को लेकर बैठक बुलाए जाने की गुजारिश की है।
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