शिमला/ मंडी, 18 फरवरी : यदि, आप कमरुनाग देव (Dev Kamrunag) की यात्रा पर निकले हैं तो रास्ते में एक स्थान आएगा “शाला”। यहां पहुंचने के बाद एक आलीशान भवन देखकर आपको ऐसा प्रतीत होगा कि यह कोई होटल (Hotel Booking) है। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। आपका यह सोचना गलत होगा, क्योंकि यह होटल नहीं, बल्कि पंचायत घर है। हालांकि इस भवन को बने करीब तीन साल हो चुके हैं, लेकिन अब भी इसकी तस्वीर सोशल मीडिया में वायरल (Viral in Social Media) हो ही जाती हैं। इसकी वजह यह है कि देखने वाले को ये अविश्वसनीय सा लगता है। समूचे प्रदेश में मंडी के गोहर (Gohar) विकासखंड की शाला पंचायत प्रेरणास्रोत बनी है।
लाजमी तौर पर आपके जेहन में एक सवाल यह भी कौंध रहा होगा कि हम आपको तीन साल बाद इस स्टोरी से क्यों मुखातिब करवा रहे हैं। दरअसल, एक आलीशान पंचायत घर बनाने वाले अब फिर कुछ अनोखा करने जा रहे हैं। ताजा जानकारी में पंचायत द्वारा अब एक कृत्रिम झील (Artificial Lake) का निर्माण किया जा रहा है। शिकारी देवी (Shikari Devi) के समीप से ज्यूणी खड्ड निकलता है, जो पंडोह (Pandoh) में सतलुज नदी (Sutlej River)में समा जाता है।
पंचायत ने बांध बनाकर इस पानी को रोकने का निर्णय लिया है। ताकि तकरीबन 500 फीट लंबी व 400 फीट चौड़ी कृत्रिम झील बनाई जा सके। इसमें न केवल वॉटर स्पोर्ट्स की गतिविधियों को चलाया जाएगा, बल्कि पेयजल योजना भी बनाई जा सके, पर्यटकों को आकर्षित करने का खाका भी तैयार किया जा रहा है। दीगर है कि झील के निर्माण का कार्य काफी हद तक पूरा किया जा चुका है। शाला पंचायत में रोजाना ही प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से एक्स्पोज़र विजिट (Exposure Visit) को लेकर पंचायत प्रतिनिधि आते हैं, लेकिन यहां मलाल इस बात का है कि एक्सपोजर विजिट के बाद व्यावहारिक रूप से कार्य नहीं हो पाता।
सपना हुआ साकार…
पंचायत के उप प्रधान राजकुमार ने ही अपने पिछले कार्यकाल में बतौर पंचायत प्रधान एक शानदार पंचायत घर का सपना देखा था। एमबीएम न्यूज नेटवर्क (MBM) से एक सवाल के जवाब में उप प्रधान ने कहा कि वह बेहद ही दुर्गम इलाके से ताल्लुक रखते हैं। शाला पहुंचने के लिए ही करीब 2 घंटे पैदल चलना पड़ता था। पिछड़ेपन ने ही पंचायत को विकास की नई राह दिखाने का जज्बा पैदा किया। 50 लाख रुपए की लागत से पंचायत घर बनाया गया। अब कृत्रिम झील बनाई जा रही है, जिसका कार्य भी मुकम्मल होने वाला है।
उन्होंने कहा कि कमरूनाग तक भी 16 किलोमीटर सड़क का निर्माण पंचायत द्वारा किया गया है। कमरूनाग मंदिर 3,334 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर के सामने एक झील, धौलाधार (Lake Dhauladhar) पहाड़ियों व बल्ह घाटी (Balh Valley) का सुंदर दृश्य दिखाई देता है। शाला ग्राम पंचायत के पूर्व प्रधान, राज कुमार, जो वर्तमान में पंचायत के उप-प्रधान हैं, ने कुछ वर्षों में गोहर ब्लॉक के अंतर्गत शाला पंचायत से कमरूनाग देवता के मंदिर परिसर की सीमा तक 16 किलोमीटर लंबी सड़क बनाने की पहल की थी।
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बता दें कि पंचायत ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (Mgnrega) में साल 2019-20 में रिकॉर्ड 5 करोड़ रुपए से अधिक के काम किए हैं। अनूठी बात यह है कि इन पैसों से मनरेगा में जनहित के ऐसे कार्य किए गए हैं ,जो दूसरों के लिए उदाहरण बने हैं।
क्या खास है पंचायत घर
पंचायत घर के ग्राउंड फ्लोर पर मीटिंग हॉल बनाया गया है। इसमें 250 से 300 लोगों की बैठने की व्यवस्था है। फर्स्ट फ्लोर पर पंचायत प्रधान सहित विशेष प्रतिनिधियों के लिए केबिन बनाए गए हैं। वार्ड सदस्य भी अलग से कार्यालय में बैठकर काम कर सकते हैं। पंचायत द्वारा सेकंड फ्लोर पर विश्राम गृह बनाया गया है, इसमें दो वीआईपी (VIP) व दो सामान्य रूम है। वीआईपी कमरे का किराया ₹1500 निर्धारित हुआ है, जबकि नॉर्मल रूम के 800 लिए जाते हैं। यह पंचायत घर 2700 वर्ग फ़ीट में बना हुआ है, पंचायत को कई सम्मान भी हासिल हो चुके हैं।