नाहन, 01 नवंबर : सिरमौर का मुख्यालय नाहन, हिमाचल के ऐतिहासिक शहरों में से एक है। पहाड़ी प्रदेश में चुनिंदा कस्बे ही ऐसे होंगे, जो अपने दामन में स्थापना के 400 साल समेटे हों। शहर की पहचान तालाबों, बावड़ियों व सैरगाहों से होती रही है। तालाबों के नाम पर अब कालीस्थान व पक्का टैंक ही बचे हैं। ऐतिहासिक कालीस्थान तालाब में हर साल कमल के फूल खिलते हैं। हरे रंग का बिछौना तालाब में फैल जाता है। इसके बाद कमल के फूल खिलने शुरू होते हैं।
खास बात है कि फूलों की प्रजातियां भी दो तरह की होती हैं। कुछ अरसा पहले फूल खिलना बंद हो गए थ। इसी बीच हरे रंग का बिछौना या कुदरती चटाई पर सपोले धूप सेंकते नजर आ रहे हैं। साकेत कश्यप ने कहा कि काफी समय पहले तक नाग पंचमी की इस तालाब में पूजा की जाती थी, जो सालों से बंद है। गौरतलब है कि सिरमौर के शाही परिवार द्वारा भी नाग देवता की पूजा की जाती है। कच्चा टैंक में शहर का एकमात्र नाग देवता मंदिर भी मौजूद है।
ऐसी भी एक धारणा है कि दसवीं सदी में सिरमौर की रियासत गर्क हो गई थी। इसके बाद जैसलमेर सेे रियासत की जिम्मेदारी के लिए राजकुमार हासू को भेजा गया था, लेकिन रास्ते में उनकी मौत हो गई। गर्भवती पत्नी ने ढाक के पेड़ के नीचे पुत्र को जन्म दिया। इतिहासकारों के मुताबिक ढाक के पेड़ के नीचे नाग देवता ने बच्चे की रक्षा की थी। इसी ढाक के पेड़ की लकड़ियों से कुछ साल बाद नागदेवता की चार काष्ठ की मूर्तियां बनाई गई थी, जो अब भी पटेट परिवार के पास सुरक्षित हैं। हालांकि ये मूर्तियां नागदेवता के मंदिर में स्थापित थी, लेकिन गोरखा युद्ध के दौरान मूर्तियों के बेशकीमती आभूषण चोरी हो गए थे। तब से ये मूर्तियां पटेट परिवार के घर में ही पूजी जाती हैं।
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कुल मिलाकर कालीस्थान तालाब में सांपों के धूप सेंकने का दृश्य दुर्लभ भी हो सकता है। शहर के कई लोग इनकी मौजूदगी को नाग देवता से भी जोड़कर देख रहे हैं। आपको ये भी बता दें कि कालीस्थान तालाब अपने आप में ही एक दुर्लभ स्थली है। शायद ही कहीं ऐसा होगा, जहां तालाब के किनारे पीपल, जामुन व बरगद के सदियों पुराने पेड़ मौजूद हैं। खास बात ये भी है कि इसी तालाब के एक छोर पर हनुमान मंदिर का निर्माण हुए चंद बरस भी नहीं हुए हैं, लेकिन इसकी ख्याति तेजी से फैल रही है। इस मंदिर के एक किनारे से गत वर्ष शिवरात्रि के दिन नाग देवता के दर्शन हुए थे। तब भी यहां श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ आया था।
तालाब में आराम फरमाते सपोले