नाहन, 2 अगस्त : पहाड़ दरकने की आशंका है। टूटते पत्थरों की चपेट में आने का डर है। 21 टन वजनी पोकलेन मशीन (Poclain machine) को लगभग चार हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंचाना आसान नहीं होता। मगर हिमाचल के बिलासपुर के कोटधार के रहने वाले 26 वर्षीय ऑपरेटर मनोज ठाकुर ने ये जोखिमपूर्ण कार्य (risky work) सोमवार को कर लिया। अब आसानी से बाकी मशीनरी भी ऊपर पहुंच सकती है।
उत्तराखंड के केदारनाथ हाईवे के निर्माण का तजुर्बा रखने वाले युवा ऑपरेटर मनोज ठाकुर को बारिश रुकने पर मशीन को ठीक उस जगह पर पहुंचाने का मौका मिल गया, जहां से ध्वस्त (demolished) हो चुके हाईवे को दूसरी तरफ से जोड़ा जा सकता है। पोकलेन मशीन करीब चार हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंच गई है। अब टाॅप से डाउन की तरफ सड़क निर्माण को शुरू किया जा सकता है।
बता दें कि हाईवे की बहाली (restoration of highway) के लिए ठेकेदार द्वारा आधा दर्जन पोकलेन मशीनों के ऑपरेटर्स को बुला लिया गया है। शुरूआती चरण में ही मुश्किल आनी थी। अकेले शिलाई विधानसभा क्षेत्र की ही 50 पंचायतें हाईवे के अवरुद्ध होने से प्रभावित हुई हैं। बेशक ही बड़े-बड़े हाइवे को बनाने का रोड मैप इंजीनियर्स (Map Engineer) के हाथ में होता है, लेकिन धरातल के रियल हीरो (Real Hero) ऐसे ऑपरेटर होते हैं, जो अपने जीवन की परवाह किए बगैर ही प्रोजैक्ट को आगे बढ़ाते हैं। चार दिन पहले, जब पांवटा साहिब-शिलाई मार्ग पर बड़वास में रेत के ढेर की तरह पहाड़ दरक गया था, उस वायरल वीडियो (Viral Video) को देश के लाखों लोगों ने देखा था।
हर किसी के जहन में यही सवाल था कि इस हाइवे को बारिश के दौरान कैसे बहाल किया जा सकता है। इसका जवाब सोमवार को उस समय सामने आया, जब रियल लाइफ में खतरों के खिलाड़ी बन 26 साल का पोकलने ऑपरेटर मनोज ठाकुर ने मशीन को हिल टाॅप पर पहुंचा दिया, ताकि दोनों छोरों से कार्य को युद्धस्तर पर शुरू किया जा सके।
ये बोला….
भाई…जनता को परेशानी हो रही है। कहीं से तो काम शुरू होना था। जोखिम उठाकर पोकलेन मशीन को ऊंचाई पर पहुंचाना था, ताकि कार्य शुरू हो सके। छोटे-छोटे बच्चों को कच्चे पहाड़ों पर चढते देखा। विभाग से इम्दाद मिल रही है, मगर धरातल पर कई सच्चाईयां भिन्न होती हैं। मुख्य मार्ग से करीब 200 मीटर ऊपर पोकलेन मशीन को पहुंचाना रिस्की था। चंद रोज पहले ही इस जगह पर भयंकर भूस्खलन (severe landslide) हुआ।
ये बात, पोकलेन ऑपरेटर मनोज ठाकुर ने फोन पर एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कही। उन्होंने कहा कि तीन साल तक उस्ताद से ट्रेनिंग ली है। वो तभी अपने शिष्य को ऑपरेटर घोषित करते हैं, जब पूरी बारीकियां सिखा दें, क्योंकि ऐसी जगहों पर कार्य में ऑपरेटर का जीवन सबसे पहले रिस्क पर होता है। उन्होंने कहा कि वो कुछ दिन पहले ही हाईवे के इस प्रोजैक्ट पर उत्तराखंड से आया है।
एक्सईएन बोले….
एनएच-707 के एक्सईएन (Ex.En) विवेक पंचाल ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कहा कि युद्धस्तर पर हाईवे को बहाल करने का खाका तैयार कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि बुधवार को विशेषज्ञों (experts) की टीम भी मौके का जायजा लेगी। सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) ने विशेषज्ञों की एक टीम पहले से ही गठित की हुई है। टीम को उत्तराखंड में भी कार्यों का अनुभव है।