हरिपुरधार/सुरेंद्र चौहान : नेरवा डिपो से चलने वाली बाग व समटाड़ा बस सर्विस तकनीकी खराबी के चलते सड़क पर कभी भी और किसी भी टाइम पर खड़ी हो जाती है। जिसके कारण बस में बैठी सवारियों को काफी दुविधा रहती है, और लोगों को बीचों-बीच रास्तों में एकाएक उतरना पड़ता है, और जंगल वाले रास्तों में पैदल चलकर अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचना पड़ता है।
इसी प्रकार 17 जून शुक्रवार सायंकाल के समय जब नेरवा समटाड़ा बस कुपवी से हरिपुरधार पहुंची तो काफी लेट हो चुकी थी। जबकि इस बस सर्विस का हरिपुरधार पहुंचने का समय 5:30 बजे का है। बस देरी से 6:10 पर हरिपुरधार पहुंची। तब तक सवारियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में काफी देर हो चुकी थी। तदोपरांत जब बस हरिपुरधार से समटाड़ा की ओर चली तो डोबा नामक स्थान पर खड़ी हो गई और सवारियों को तत्काल गाड़ी से उतरने को कहा गया।
सवारियों के पूछने पर बस चालक ने बताया कि बस खराब हो गई है। तब तक संध्या का समय हो चुका था, लोगों को बीच रास्ते में उतरना पड़ा और अंधेरे में अपने गंतव्य तक पहुंचना पड़ा।
बस में सवार यात्रियों ने जब बस परिचालक से पूछा तो तकनीकी खराबी आने का कारण बताया, तब सवारियों को अपना टिकट बीच रास्ते में ही फेंकना पड़ा। ऐसी स्थिति में लोगों ने नेरवा डिपो की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिए कि हर वक्त इन रूटों पर खटारा बसों को भेजा जाता है। बस में बैठना लोगों की मजबूरी है लेकिन बस के अंदर गंदगी होने से हर किसी सवारी की तबीयत बिगड़ जाती है।
क्षेत्र के गणमान्य व्यक्ति, पूर्व प्रधान सतपाल चौहान, समाजसेवी सुरेंद्र चौहान, देवराज रावत ने बताया कि हम इस बस में सवार होकर अपने गंतव्य स्थान तक रोजाना सफर करते हैं।
उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि भौगोलिक स्थिति को देखते हुए इन रूटों पर खटारा बसों को न भेजा जाए। सड़कों की बदहाली के चलते कंडम हुई बसों पर जान जोखिम में न डालकर लोगों के साथ खिलवाड़ न करें। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हर वक्त बस में खराबी आने से दो-दो दिन बसें खड़ी रहती है। मैकेनिक सामान शिमला से ही मंगाना पड़ता है, जबकि कुपवी वर्कशॉप में ही उपलब्ध होना चाहिए। ताकि कोई भी ग्रामीण क्षेत्रों के रूट प्रभावित न हो।