घुमारवीं, 15 अप्रैल : हिमाचल प्रदेश में गेहूं की फसल सूखे के कारण 80 प्रतिशत खत्म समय पर बारिश न होने के कारण पैदा हुई समस्या किसान संगठनों ने उठाई प्रदेश को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग।
हिमाचल प्रदेश में इस बार बारिश न होने के कारण गेहूं की फसल को काफी नुकसान हुआ है। बात यहां तक आ पहुंची कि किसानों ने जितना खर्च फसल की बिजाई व खाद पर किया था उसकी एक चौथाई पैदावार भी नहीं हुई है। अब समस्या यह पैदा हो गई कि किसानों को अनाज तो न के बराबर ही हुआ पर पशुओं के लिए चारे के लाले पड़ रहें है। पिछले सालों की अपेक्षा इस बार फसल की कटाई एक महीना पहले ही शुरू हो गई क्योंकि बारिश न होने के कारण फसल ही सूख गई।
पिछली फसल मक्की की भी कम बारिश और तूफान के कारण तबाह हो गई थी हर बार फसल चक्र टूटने के कारण किसानों को हताश होना पड रहा है। बारिश कम होने के कारण फसल कम तो हुई पर पानी की समस्या भी गंभीर रूप धारण करने लगी है। समस्या को देखते हुए हिमाचल प्रदेश के किसान संगठनों ने केंद्र सरकार से हिमाचल प्रदेश को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग की है। ताकि किसानों को लाभ मिल सके।
इन संगठनों ने सरकार से मांग की है कि सरकार ने जो सार्वजनिक हैंडपंप बंद किए हैं उनको दोबारा से शुरू किया जाए ताकि पानी की समस्या न आए अन्यथा इस बार गर्मी भीषण और विकराल रूप धारण करने लगी है और अभी से पानी की भारी किल्लत आ रही है। इसलिए सरकार को किसानों के लिए सोचना चाहिए ताकि उनको इस सूखाग्रस्त का लाभ मिल सके।