हरिपुरधार/सुरेंद्र चौहान
वर्ष 2021 जनवरी-फरवरी से पर्याप्त वर्षा व ऊपरी क्षेत्रों में बर्फबारी न होने से जन-जीवन पूरी तरह प्रभावित हो गया है। लोगों को जहां खेतीबाड़ी में अधिक क्षति हुई है वहीं बागवानी में भी बदतर हालत देखने को मिल रहे हैं। ऊपरी क्षेत्रों में बर्फबारी के बिना कोई भी फसलें उगाई नहीं जा सकती, क्योंकि यहां सिंचाई की व्यवस्था संभव नहीं हो सकती।
सूखे के चलते लहसुन की खेती पर मंडराया खतरा, महंगा खरीदा गया था बीज
क्षेत्र के सैंकड़ों गांवों में सिंचाई की सुविधा न होने के चलते वर्षा के पानी पर ही निर्भर रहना पड़ता है। जिसके कारण लोगों की नकदी फसलें तबाह हो गई है। कुपवी क्षेत्र के तमाम पंचायतों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध न होने की वजह से गेहूं,जौ मटर,फ्रांसबीन,व मुख्य रूप से लहसुन की फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई है। जिसके कारण लोगों की आर्थिकी कमजोर होती जा रही है।
सूखे की मार से बागवानी पर पड़ेगा बुरा असर
खेती बाड़ी को कम करते हुए जमींदार लोगों ने अपनी पूरी ताकत बागवानी पर झोंक दी है। हर बार लहसुन के बीज की कीमतें पूरी न होने के कारण किसान अपनी जमीन पर बागवानी करने पर खरा उतरने की कोशिश कर रहे हैं। इनमें, मुख्य रूप से सेब,नाशपाती प्लम व आड़ू सहित अन्य कई तरह के फलों के बगीचे लगाने शुरु कर दिए हैं। लेकिन यह भी सूखे की भेंट चढ़ जायेंगे।
बर्फबारी न होने से प्राकृतिक जल स्त्रोत सूखे
क्षेत्र की विभिन्न पंचायतों के ग्रामीणों की पीने के पानी की योजनाएं बर्फ न होने के कारण सुख गई है। लोगों को पेयजल की आपूर्ति पर्याप्त नहीं हो रही। विभिन्न पंचायतों के ग्रामीणों ने सूखे से निपटने के लिए सरकार से मुआवजे की मांग की है, ताकि जमींदार कमजोर आर्थिकी का सामना कर सकें।