शिमला, 16 दिसंबर : हिमाचल पर्यटन विकास निगम के पूर्व जनरल मैनेजर रमेश कपूर को धोखाधड़ी के एक मामले में शिमला की स्थानीय अदालत ने एक साल कैद की सज़ा सुनाई है। इसके साथ ही दोषी को 20 हज़ार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माना अदा न करने पर तीन महीने की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। आरोपी एचपीटीडीसी में क्लर्क के पद पर भर्ती हुआ था और रिटायरमेंट के समय वह जीएम बन गया था। अदालत ने इस शख्स को सर्विस रिकॉर्ड में छेड़छाड़ कर जन्मतिथि बदलने के मामले में दोषी करार देते हुए सज़ा का एलान किया है।
मामले के अनुसार एचपीटीडीसी से जीएम रिटायर्ड हुए रमेश कपूर वर्ष 2006 में रिटायर हुए थे। सर्विस बुक में उनकी जनमतिथि को 22 फरवरी 1944 की जगह 22 फरवरी 1948 कर दिया गया है। इसके अलावा रिकार्ड में से दसवीं का प्रमाणपत्र भी निकाल दिया गया। पर्यटन विकास निगम कर्मचारी संघ के पूर्व महासचिव ओम प्रकाश गोयल की शिकायत पर वर्ष 2008 में इस मामले में आईपीसी की धाराओं 420, 467, 468 व 471 के तहत सदर थाने में एफआइआर दर्ज की गई।
पुलिस के तत्कालीन डीएसपी आनंद कुमार धीमान की जांच में पाया गया कि रमेश कपूर ने 1973 में नगम में क्लर्क –गाइड के तौर पर नौकरी शुरू की थी।जांच में सामने आए दस्तावेजों के मुताबिक उनकी जन्म तिथि 1944 ही पाई गई। निगम के दस्तावेजों में जारी वरिष्ठता सूची में जन्मतिथि का कॉलम खाली छोड़ा गया था।
जांच अधिकारी ने पाया कि सर्विस रिकार्ड में से आरोपी की ओर से दसवीं का प्रमाणपत्र जानबूझ कर निकाला गया है। जांच में यह सामने आया कि कपूर निगम में सबसे ऊंचे ओहदे पर पहुंच गए थे व उसने अपने पद का दुरुपयोग कर ये सब किया होगा। आखिर में जांच में पाया गया कि अपनी नौकरी की अवधि लंबी करने और निगम से गैर कानूनी तौर पर लाभ अर्जित करने के लिए के कपूर ने धोखधड़ी करते हुए दस्तावेज़ों में ये छेड़छाड़ की।
सीजेएम ने पाया कि आरोपी ने अपनी नौकरी की अवधि चार साल तक बढ़ाने की मंशा से सब किया इसलिए उसे धारा 420 के तहत दोषी ठहराया। सीजेएम परविदंर सिंह अरोड़ा ने अपने फैसले में कहा कि अगर सर्विस रिकार्ड से दसवीं का प्रमाण पत्र गायब हो गया है तो मूल प्रमाण पत्र तो आरोपी के पास ही था। वह इसे अदालत या निगम में कभी भी जमा करा सकता था।