हमीरपुर, 06 नवंबर : पशुपालन विभाग में फर्जी दस्तावेज़ (Fake document) लगाकर पदोन्नति हासिल करने का एक और मामला सामने आया है। जिला हमीरपुर में फर्जी दस्तावेज लगाकर पदौन्नति (Promotion) हासिल करने का यह तीसरा मामला है। बिना पढ़े लिखे इस प्रमोशन के साथ तीनों ही कर्मचारियों को सरकार द्वारा निर्धारित किए गए नए वेतन भत्ते का भी लाभ मिल गया। लेकिन जब उनके दस्तावेजों का रिकार्ड (Record) खंगाला गया तो उनके योग्यता प्रमाण पत्र फर्जी निकले। यह मामला बडसर क्षेत्र के दो पशु औषधालयों व नादौन क्षेत्र के एक औषधालय से जुडा हुआ है। यह खुलासा तब हुआ जब एक व्यक्ति ने तीनों ही व्यक्तियों की योग्यता के प्रमाणपत्रों की आरटीआई (RTI) के तहत मांग कर दी।
इस खुलासे के बाद पशुपालन विभाग में हडकंप मच गया है। पशुपालन विभाग में हुई पदोन्नति के दौरान हुए इस फर्जी बाड़े के धागे धीरे धीरे खुलने लगे है और मामला अब पशुपालन विभाग निदेशक शिमला तक पंहुच गया है। हमीरपुर में हुए इस फर्जी पदोन्नति मामले की जाँच का जिम्मा अब निर्देशक ने संयुक्त- निदेशक पालमपुर को सौंपा है। संयुक्त निदेशक द्वारा की गई जांच में तीनों कर्मचारियों (Employees) के दस्तावेज फर्जी पाए गये है। जिसका खुलासा जांच की रिपोर्ट में किया गया है।
अब इस पुरे मामले पर संज्ञान लेते हुए निदेशक शिमला ने तीनों ही कर्मचारियों के नौकरी से संबधित दस्तावेज़ पशुपालन निर्देशक कार्यालय में जमा करवाने के आदेश पारित किये है। फर्जी दस्तावेज़ लगाकर पदोन्नति हासिल करने वाले इन तीनों कर्मचारियों पर अब विभागीय गाज गिरना तय बताय जा रहा है। जिसमे वर्ष 2014 में पदोन्नति के बाद प्राप्त नए वेतन भत्ते के रूप में प्राप्त करोड़ों रूपये की रिकवरी भी हो सकती है।
गौरतलब है कि हमीरपुर के तीन कर्मचारियों पर फर्जी दस्तावेज लगाकर पदोन्नति हासिल करने के आरोप क्षेत्र के एक व्यक्ति ने लगाये थे। पशुपालन विभाग ने आरटीआई एक्टिविट यशपाल सिंह की मांग पर इस बात का खुलासा किया था। शिकायतकर्ता (Complainant) ने पुरे मामले की शिकायत मुख्यामंत्री संकल्प क्रमांक 240890 समय 12 मार्च को दर्ज करवाई। 17 मार्च को उपनिदेशक पशु स्वास्थ्य प्रजनन विभाग हमीरपुर ने संबधित कर्मचारियों पर जांच भी बैठाई लेकिन शिकायतकर्ता उप निदेशक हमीरपुर की जांच से असंतुष्ट पाए गये।
उन्होंने मामला पशु स्वास्थ्य प्रजनन विभाग निदेशक शिमला को भेज दिया। फर्जी दस्तावेज़ से पदोन्नति हासिल करने वाले इस मामले की जांच का जिम्मा निदेशक कार्यालय शिमला से संयुक्त निदेशक पालमपुर को दिया गया। सयुंक्त निदेशक द्वारा की गई जाँच में संबधित कर्मचारियों के पदोन्नति से संबधित दो कर्मचारियों के जमा दो के व् एक कर्मचारी के दसवीं व् जमा दो के दस्तावेज़ फर्जी पाए गये है जिसका खुलासा संयुक्त निदेशक ने अपनी रिपोर्ट में किया है।
किसी विभाग में पदोन्नति से पहले संबधित कर्मचारियों की ट्रेनिंग करवाई जाती है और जिन कर्मचारियों को पदोन्नति दी जानी है। उनके दस्तावेजों की जांच एक कमेटी द्वारा की जाती है। लेकिन इस पुरे मामले में यदि उस दौरान गठित कमेटी द्वारा संबधित कर्मचारियों के दस्तावेजों की जांच की गई है। तो उन्होंने उस समय इस बात की पुष्टि क्यूँ नहीं की कर्मचारियों के दस्तावेज फर्जी है। इस कार्यप्रणाली से अब जांच कमेटी पर भी संकट के बादल मंडराते दिख रहे है। यही नहीं इन तीनों कर्मचारियों में से एक कर्मचारी के नौकरी से संबधित अति महत्त्वपूर्ण दस्तावेज तक, उपनिदेशक पशुपालन कार्यालय हमीरपुर के सरकारी रिकार्ड से ही गायब है। जिससे हमीरपुर पशुपालन विभाग भी कई सवालों के घेरे में है।