नाहन : हिमाचल के साथ-साथ पड़ोसी राज्य हरियाणा में एक फैक्टरी से उपजे कोरोना वायरस ने ऐसा कोहराम मचाया हुआ है कि दोनों राज्यों में संक्रमितों का आंकड़ा 10 से 12 दिन के भीतर 40 के आसपास हो चुका है। सराहां उपमंडल के बागपशोग के रहने वाले 23 वर्षीय युवक ने ही सबसे पहले कालाअंब की ऑरिसन फैक्टरी में हाई लोडिड वायरस(High Loaded Virus) की पोल खोली थी। इसमें कोई दो राय नहीं होनी चाहिए कि अगर कंपनी के परिसर में हाई लोडेड वायरस नहीं होता तो संक्रमण की सीमा इस हद तक नहीं पहुँचती।
दरअसल कोरोना संक्रमित युवक 3 जून को हरियाणा के नारायणगढ़ में पहले एक निजी अस्पताल में जाता है, क्योंकि उसे हल्के बुखार के साथ दर्द हो रही थी। वहां से उसे सिविल अस्पताल भेज दिया जाता है। कोरोना टैस्ट के बाद उसे होम क्वारंटाइन की सलाह दी जाती है। उसे कतई भी इस बात का इल्म नहीं था कि टैस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाएगी। होम क्वारंटाइन की बात एमडी को बताता है तो उसे घर भेज दिया जाता है। घर पहुंच चुके युवक को 5 जून की दोपहर उसे नारायणगढ़ से ही पॉजिटिव होने की सूचना मिलती है। वो तत्काल इसकी सूचना बीएमओ सराहां को देता है। इसके बाद ऑरिसन फार्मा के मालिक सहित कर्मचारियों की सैंपलिंग शुरू हो जाती है।
वायरस नाहन के अलावा हरियाणा के नारायणगढ़, सढौरा , यमुनानगर तक पहुंच जाता है। साफ जाहिर है कि अगर युवक अपने चैकअप के लिए खुद न जाता तो इस स्तर के संक्रमण का खुलास नहीं होता। मामूली देरी भी बड़े विस्फोट का का सबब बन जाती । बता दें कि मंगलवार को भी नारायणगढ़ उपमंडल में आधा दर्जन संक्रमित मिले हैं। ऑरिसन फार्मा से जुड़ी खबरों की कतरनें यहां भी वायरल हो रही हैं। बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि उस युवक के खिलाफ तो आपराधिक मामला दर्ज कर लिया गया, जो भोलेपन में अपने घर आ गया था, क्योंकि उसे होम क्वारंटाइन के निर्देश मिले थे, लेकिन उस फैक्टरी के खिलाफ 10 से 12 दिन बीत जाने के बाद भी कोई एफआईआर नहीं हुई, जहां से न केवल हिमाचल बल्कि हरियाणा के भी कई कस्बों में संक्रमण फैला। हालांकि, किसी शख्स का पॉजिटिव होना गुनाह नहीं है, लेकिन ट्रैवल हिस्ट्री सहित कर्मचारियों से जुड़े आंकड़ों को छिपाए रखना आपराधिक मामला है।
सूत्रों की मानें तो अब तक भी प्रशासन व विभाग को इस बात की सटीक जानकारी नहीं है कि कंपनी व इसकी अन्य इकाईयों में कितने कर्मचारी तैनात थे। शुक्र इस बात का भी है कि सिरमौर प्रशासन ने 8 जून 2020 को फैक्टरी खुलने की इजाजत नहीं दी, अन्यथा कोरोना विस्फोट की तीव्रता बड़ी हो सकती थी। 6 जून को मालिक ने अपने ही स्तर पर फैक्टरी को सेनिटाइज किया। 7 को रविवार था। संभावना थी कि 8 को फैक्टरी खुल जाएगी। उधर हरियाणा के मीडिया में छप रही खबरों की मानें तो नारायणगढ़, यमुनानगर व अंबाला में करीब 40 लोग संक्रमित हुए हैं, जबकि सिरमौर में यह आंकड़ा 12 के आसपास का है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने ऑरिसन फार्मा के सबसे पहले संक्रमित पाए गए सराहां के युवक से फोन पर लंबी बातचीत की। युवक का कहना था कि वो खुद अपने चैकअप के लिए गए थे। कतई भी इस बात का इल्म नहीं था कि रिपोर्ट पॉजिटिव आएगी। चैकअप के बाद फैक्टरी पहुंचे तो उन्हें छुट्टी दे दी गई। वो अपने सामान्य स्वभाव में घर लौट आए। इसी बीच नारायणगढ़ की एसडीएम अदिति ने एमबीएम न्यूज से बातचीत में कहा कि उपमंडल में 17 मामले आए हैं, जिसमें अधिकतर की कॉन्ट्रैक्ट हिस्ट्री कंपनी के कर्मचारियों से ही जुड़ी हुई है।
उधर, सिरमौर प्रशासन के कालाअंब में तैनात इंसिडेंट कमांडर व तहसीलदार नारायण सिंह चौहान ने कहा कि कंपनी को दो कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं, जबकि एक नोटिस श्रम विभाग द्वारा जारी किया गया। बावजूद इसके कोई रिस्पांस नहीं आया।
उधर सिरमौर के एसपी अजय कृष्ण शर्मा का कहना था कि इंसिडेंट कमांडर की शिकायत मिलने के बाद ही आपराधिक मामला दर्ज हो सकता है। एक अन्य जानकारी यह भी है कि ऑरिसन फार्मा से जुड़े कर्मचारी खुद ही सैंपलिंग करवा रहे हैं। बता दें कि फ़ैक्टरी ऐसी जगह पर बनाई गई थी, जहां पहुंचने के लिए हिमाचल के किसी भी बैरियर को पार नहीं करना पड़ता है। दीगर है कि फ़ैक्टरी का मालिक हरियाणा का रहने वाला है जबकि काफी संख्या में कर्मचारी भी वही से आते है,,अब प्रकोप का भी सामना कर रहा है।