नाहन : डॉ. वाई एस परमार मेडिकल कॉलेज के मेडिकल अधीक्षक को अप्रत्याशित प्रमोशन देकर स्थानांतरित कर दिया गया है। इस बात के खुलासे से मेडिकल अधीक्षक डीडी शर्मा तिलमिला गए हैं। सोशल मीडिया में व्हाटसएप पर एक मैसेज को सर्कुलेट कर व फेसबुक पर स्टेटस अपडेट कर रहे हैं। इसमें एमबीएम न्यूज नेटवर्क को लीगल नोटिस देने की धमकी दे रहे हैं। लेकिन वो सच्चाई को नहीं झुठला सकते।
डॉ. डीडी शर्मा को यह जवाब तो लाजमी तौर पर ही देना होगा कि रोगी की रिपोर्ट आने से पहले उन्होंने शीर्ष अधिकारियों यहां तक की स्टाफ को भी खुद के क्वारंटाइन पर जाने की बात कही थी या नहीं। अगर ऐसा नहीं था तो अचानक ही उन्हें प्रमोट कर क्यों बदल दिया गया। सवाल इस बात पर भी है कि अगर डॉ. डीडी शर्मा को समाचार पर कोई आपत्ति थी तो अपना पक्ष रखने के लिए एमबीएम न्यूज नेटवर्क को लिखित तौर पर क्यों अवगत नहीं करवाया। एमबीएम की खबर पर पाठकों की प्रतिक्रियाएं भी स्थानांतरित मेडिकल अधीक्षक की कार्यप्रणाली की पोल साफ तौर पर खोल रही हैं।
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बताया यह भी जा रहा है कि अब मेडिकल लीव पर चले गए हैं। समूचे देश व प्रदेश को आज चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टाफ की सेवाओं की आवश्यकता है। ऐसे में वो छुट्टी पर चले गए हैं। यह तो पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता कि ट्रांसफर के बाद चार्ज देने से बचने के मकसद से छुट्टी पर गए हैं या वाकई में बीमार हैं। सवाल इस बात पर भी पैदा होता है कि अगर अस्पताल में एक संदिग्ध के आने के बाद सब कुछ सामान्य था तो मेडिकल कॉलेज के प्रिंसीपल को अफवाह के चलते क्यों फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन करना पड़ा।
गौरतलब है कि 22 तारीख की रात को संदिग्ध के आने के बाद रिपोर्ट से पहले ही रोगी के पॉजीटिव आने की अफवाह फैल गई थी। कुल मिलाकर अगर स्वास्थ्य महकमा निष्पक्ष तरीके से समूचे मामले की जांच करवाता है तो स्वाभाविक तौर पर दुध का दूध व पानी का पानी हो जाएगा। बेशक ही खुली जुबान से मेडिकल कॉलेज का स्टाफ कुछ नहीं कह रहा है, लेकिन कोरोना जैसे संवेदनशील मामले में गैर जिम्मेदार रवैये को लेकर अंदरखाते जमकर चर्चा चल रही है।
शर्मा की पोस्ट पर टिप्पणियां…
एमबीएम न्यूज नेटवर्क के समक्ष अपना पक्ष रखने की बजाय डॉ. शर्मा ने सीधे ही अपना पक्ष फेसबुक पर भी रखा। इस पर प्रतिक्रियाएं भी आई हैं। सचिन पंडित लिखते हैं कि वो इस बात से सहमत हैं कि एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने सोशल मीडिया में झूठी खबर को प्रकाशित किया है। वहीं रेखा ठाकुर का कहना है कि हां यह सच है। अविनाश शर्मा का कहना है कि पत्रकारों को खबर के लिए मसाला चाहिए होता है, जिन्हें सच्चाई की कोई परवाह नहीं होती। अनुज शर्मा कहते हैं कि नाहन के लोग एमबीएम न्यूज पर कोई न्यूज नहीं पा रहे, पहले कुत्ते वालों के पीछे पड़ गए थे ओर अब डॉक्टरों के पीछे पड़े हैं।
हिमांशु भारद्वाज का कहना है कि सच्चाई टिकती है। इसी तरह रोहित वर्मा ने कहा कि अनपढ़ता को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। प्रशासन को एमबीएम न्यूज के खिलाफ सख्त कदम उठाना चाहिए। कपिल मोहन शर्मा ने डीडी शर्मा से पूछा कि क्या आपने उनसे बात की है। कुल मिलाकर पाठकों को ही तय करना है कि क्या एमबीएम न्यूज नेटवर्क अपनी जिम्मेदारी को निष्पक्षता, निडरता व निर्भीकता से नहीं निभा रहा। आपको यह भी स्पष्ट कर दें कि डॉ. डीडी शर्मा की पोस्ट पर की गई टिप्पणियों का हिन्दी रूपांतर किया गया है। इसके स्क्रीन शॉट संरक्षित किए गए हैं।