एमबीएम न्यूज/नाहन
सिरमौर जिले की घिन्नीघाड़ क्षेत्र की दूरदराज की पंचायत टिक्करी कुठाड़। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में रोजगार के सीमित संसाधन। इसी पंचायत का एक युवा शिव कुमार अत्री, जिसने सिपाही के पद से सब इंस्पेक्टर की परीक्षा पास कर मां-बाप व क्षेत्र को निहाल कर दिया। घिन्नीघाड़ क्षेत्र में शैक्षिक गतिविधियां बेहद कम हैं। अधिकतर लोग बागवानी व छोटी-मोटी खेती पर निर्भर हैं। ऐसे क्षेत्र से निकल कर एक युवक ने अन्य लोगों के लिए एक उदाहरण पेश किया है।
22 अप्रैल 1994 को जन्में शिव कुमार ने कई किलोमीटर पैदल चलकर कलोल स्कूल से दसवीं की परीक्षा पास की। उसके बाद सराहां से जमा दो की परीक्षा पास की। चार भाई-बहनों का परिवार। ऊपर से जल्द से जल्द सैटल होकर परिवार की आर्थिकी में सहारा बनने का दबाव। मगर पिता ने हिम्मत कर शिव कुमार को आगे पढ़ने के लिए प्रेरित किया। शिव कुमार को शिमला के कोटशेरा कॉलेज में बीसीए में एडमिशन मिल गई। जहां तमाम मुश्किलों के बाद शिव ने प्रथम श्रेणी में बीसीए की परीक्षा उत्तीर्ण की। मगर अब उन्हें अपने साथ-साथ छोटी बहनों की पढ़ाई व शादी की फिक्र थी। जिम्मेदारियां मुंह बाय खड़ी थी, जिसके चलते शिव ने 2015 में कांस्टेबल पुलिस भर्ती में भाग लिया। यहां उनका चयन हो गया। इस शुरूआत से उनका मनोबल ऊंचा हुआ। पहले ही कुछ कर गुजरने की तमन्ना ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। नौकरी के साथ-साथ पढ़ाई जारी रखी। कनसेप्ट क्लीयर था, कि रट कर परीक्षा पास नहीं करनी है।
कांस्टेबल के रूप में प्रशिक्षण के बाद उनकी पहली पोस्टिंग बनगढ़ बटालियन ऊना में हुई। कुछ साल यहां सेवा देने के बाद वह स्टेट सीआईडी शिमला में आ गए। यहां उन्हें पढ़ाई के लिए थोड़ा समय मिलने लगा। शिव का कहना है कि उन्होंने सोशल मीडिया को पढ़ाई के लिए सबसे बढि़या जरिया बनाया। डिजिटल न्यूज पोर्टल ने इसमें उनके करंट अफेयर व घटनाक्रम की नॉलेज को हर रोज अपडेट किया। शिव का मानना है कि ग्रुप डिस्कशन से भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में मदद मिली, जिसकी परिणीति परीक्षा में उनका चयन होना है।
शिव का मानना है कि जो भी पढ़ना हो, उसे रूचि से पढें। थ्री इडियट फिल्म से उन्हें प्रेरणा मिली। फिल्में देखने का उन्हें बेहद शौक है। नौकरी में राजनीतिक दबाव के मामले में प्रश्न पूछने पर उनका जवाब था कि सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं करेंगे। उसके लिए चाहे जो भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े। अपनी सफलता का श्रेय उन्होंने अपने माता-पिता के आशीर्वाद व बहनों की दुआओं को दिया है। पिता का योगदान ज्यादा रहा। वह पग-पग पर उन्हें प्रेरित करते रहे।