एमबीएम न्यूज/नाहन
बर्मापापड़ी स्कूल परिसर में चमगादड़ों की मौत की वजह निपा वायरस नहीं थी। वन विभाग के अधिकारियों ने व्यक्तिगत तौर पर मरे चमगादड़ों के नमूनों की जांच राष्ट्रीय स्तर की प्रयोगशाला पुणे (नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ वायरलॉजी) में करवाई। इस जांच में चमगादड़ों के रक्त की रिपोर्ट नैगेटिव पाई गई है। इसमें निपा वायरस का कोई लक्षण नहीं पााया गया।
सरकारी प्रेस विज्ञप्ति में केवल रिपोर्ट के नैगेटिव होने की बात कही गई है, लेकिन इस बात का खुलासा नहीं किया गया है कि असल कारण क्या था। अब रिपोर्ट नैगेटिव आने के बाद यह कहा जा सकता है कि चमगादड़ों के मरने की वजह हीट स्ट्रोक हो सकता है। डीसी ललित जैन का कहना है कि पक्षियों का बिजली की तारों पर बैठना, फल खाना व उस पर बीट करना व दागी करना इत्यादि आम बात है। डीसी ने पक्षियों द्वारा दागी किए गए फलों को न खाने की बात कही है।
इसके अतिरिक्त किसी धाम व सामूहिक प्रीतिभोज इत्यादि के भोजन पर अगर पक्षी बीट करते हैं तो इसमें सावधानी बरती जाए। डीसी ने फिर दोहराया है कि अफवाहों पर विश्वास न करें। डीसी का यह भी कहना है कि ज्यादा लू व गर्मी के कारण चमगादड़ बेहोश हो जाते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि बर्मापापड़ी स्कूल में चमगादड़ों के मरने की घटना को प्रशासन ने पूरी गंभीरता से लिया।
शुरूआती दौर में सरकारी महकमे टालमटोल कर रहे थे, लेकिन जैसे ही मामला डीसी ललित जैन के संज्ञान में आया तो आधे घंटे के भीतर ही तमाम सरकारी विभागों के अधिकारी मौके की तरफ रवाना हो गए। डीसी की त्वरित कार्रवाई का ही नतीजा है कि चंद रोज में ही रिपोर्ट आ गई है। रिपोर्ट में देरी से लोगों में दहशत बढऩे की ही संभावना भी थी। यह भी बताया जा रहा है कि वन विभाग के अधिकारी हवाई मार्ग से ही खून के नमूनों को लेकर पुणे गए थे।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में चमगादड़ों के मरने को लेकर पहली प्रयोगशाला की रिपोर्ट है।
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