नाहन : कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन में कोई गरीब भूखा न सोए। इसकी शपथ शहर में युवाओं की टोली ने कोरोना वॉरियर्स बनकर ली है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने जब पड़ताल की तो कुछ चेहरे सामने आए। संस्थाओं से शुरूआत की जाए तो दशमेश रोटी बैंक ने तो शुरू में ही बुजुर्गों के लिए घर-घर खाना पहुंचाने की व्यवस्था शुरू कर दी थी। वहीं चूड़ेश्वर सेवा समिति ने भी मंगलवार से कालाअंब में निशुल्क राशन की व्यवस्था मुहैया करवाई है। संभव है कि ऐसे कई चेहरें होंगे, जो गुमनाम वॉरियर्स के तौर पर भी मानव सेवा में जुटे होंगे। लिहाजा, गुमनाम वॉरियर्स को भी सेल्युट बनता है।
अहम बात यह भी है कि इन वॉरियर्स में से अब तक कोई पब्लिसिटी का क्रेजी नहीं दिख रहा है। एमबीएम ने अपने स्तर पर ही कुछ को खोजा। होटल कारोबारी, बिल्डर्स, स्पोर्टसमैन, पार्षद व पुलिस कर्मी इत्यादि की टोली ने मानव सेवा की अनूठी मिसाल पेश की है। पुलिस के साइबर क्राइम में तैनात कांस्टेबल अमरेंद्र सिंह अपनी काबलियत के लिए अलग ही पहचान रखते है। आप जानकर हैरान होंगे कि यह शख्स अपने घर पर ही गरीबों के लिए खाना बनवा रहा है। टीम के सदस्यों के माध्यम से वितरण होता है। दरअसल, मानवता की सेवा के लिए हर कोई क्रेजी हो गया, लिहाजा वितरण को लेकर कन्फ्यूजन भी हुआ।
ताजा जानकारी के मुताबिक अब सबने इलाके बांट लिए हैं। अगर पार्षद कपिल उर्फ मोंटी राशन उपलब्ध करवाने के साथ टीम के सदस्यों को वितरण के लिए उपलब्ध करवाते हैं तो होटल कारोबारी आशुतोष गुप्ता ने अपना परिसर पैकिंग व खाना बनाने के लिए उपलब्ध करवाया हुआ है। वहीं ढाबा चलाने वाले दुर्गेश चौधरी बखूबी पैकिंग का जिम्मा संभालते हैं। बिल्डर मनीष अग्रवाल व धावक सुनील शर्मा व रात के वक्त खाने की पैकिंग से लैस क्रेट उठाकर महलात की घाटी के आसपास नजर आ जाते हैं। जहां तक शहर में लेबर तबके का सवाल है तो यहां भवन निर्माण कार्यों में उत्तर प्रदेश व बिहार के लोग हैं।
वहीं राशन व सब्जी की दुकानों में नेपाली मजदूर तैनात हैं। चूंकि राशन व सब्जी की दुकानों में तीन घंटे व्यवसाय चल रहा है, लिहाजा नेपाली मजदूरों की तुलना में बिहार व उत्तर प्रदेश के मजदूरों पर अधिक संकट है। बहरहाल यह माना जा रहा है कि शहर में रोजाना ही 800 से 1000 गरीबों के लिए भोजन की व्यवस्था हो रही है।