नाहन : एक वक्त था जब गोबर का इस्तेमाल लिपाई व पुताई के लिए ही किया जाता था। ताकि घर के कीट पतंगों को खत्म करने के अलावा वातावरण का शुद्धिकरण किया जा सके। लेकिन धीरे- धीरे आधुनिक वक्त में इसे भुला दिया गया, लेकिन कोरोना वायरस से भयभीत वक्त ने इसकी उपयोगिता फिर सामने ला दी है। सोमवार को चौगान मैदान में माता बाला सुंदरी गौशाला के माध्यम से नगर परिषद को गोबर के लॉग प्रदान किए गए। बकायदा सब्जी की दुकानों के आसपास इन्हें जलाया भी गया। ताकि समूचे इलाके को शुद्ध कर दिया जाए।
बेशक कोरोना की वैज्ञानिक तथ्य से वैक्सीन ढूंढी जा रही है, लेकिन परंपरागत तरीकों से अगर घर को या आसपास के इलाके को शुद्ध किया जाता है तो इसमें कोई हर्ज भी नहीं है। सिरमौर में ज़िलाधीश का पद संभालने से पहले डॉक्टर आरके परुथी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में सदस्य सचिव के पद पर तैनात थे, लिहाजा वह पर्यावरण से जुड़े वैज्ञानिक व परंपरागत तरीकों को बखूबी जानते हैं। चौगान मैदान में गोबर के लॉग जलाने के बाद एक अलग सी सुगंध भी महसूस की गई।
इत्तफाक है कि 11 मार्च को ही प्लास्टिक व पॉलीथिन के प्रयोग को कम करने के मकसद से माता बाला सुंदरी गौशाला में गोबर से गमले बनाने की एक मशीन का उद्घाटन किया गया था। ताकि गाय के गोबर के गो काष्ट बनाने शुरू किए जा सके। अब इसका इस्तेमाल गोबर लॉग के लिए किया जा रहा है। इसे एक अगरबत्ती की तरह एक जगह जला दिया जाए तो दूर-दूर तक इसकी सुगंध से कीट पतंगे भाग जाते हैं। साथ ही वातावरण भी शुद्ध हो जाता है। आर के परुथी का कहना है कि परंपरागत तरीकों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।