शिमला: राज्य सरकार ने कोरोना वायरस को लेकर एक ओर बेहतरीन कदम उठाया है। स्वास्थ्य विभाग ने एक अप्रैल से 7 अप्रैल तक एक्टिव केस फाइंडिंग कैंपन (एसीएफ) चलाने का फैसला लिया है। इस बाबत शाम को दिशा -निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं। अभियान में कोरोना संक्रमण की जांच को लेकर डोर टू डोर मैपिंग होगी। इसकी जिम्मेदारी आशा वर्कर्स/आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दी जा रही है। इस आधार पर हरेक व्यक्ति की ट्रेवल हिस्ट्री व स्वास्थ्य की जांच होगी। बकायदा गूगल फार्म के फॉरमेट पर सर्वे किया जाएगा। सुबह 9 से 4 बजे के बीच ही इस फॉरमेट का इस्तेमाल हो सकेगा।
जिला में उपायुक्त के स्तर पर गठित कमेटी अभियान की मॉनिटरिंग करेगी। गूगल फार्म पर शाम साढ़े 4 बजे के बाद कोई एंट्री नहीं होगी। स्क्रीनिंग टीम डोर टू डोर परिवारों को सावधानियां बरतने को लेकर जानकारियाँ तो देंगी ही, साथ ही मास्क के सही तरीके से डिस्पोजल पर भी जागरूक करेंगी। लक्षण मिलने पर मरीज को घर पर क्वारंटाइन की सलाह दी जाएगी। टीम द्वारा स्क्रीनिंग किए गए घरों को सी-1, सी-2 व सी-3 में वर्गीकृत करेगी। पिछले 28 दिन में अंतरराष्ट्रीय यात्रा व कोरोना पॉजीटिव लोगों के संपर्क में आने वालों की सूचना उसी सूरत में बताई जाएगी, अगर वो क्वारंटाइन नहीं हैं। विभाग ने टीम के लिए ट्रिपल लेयर मास्क की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं।
बजट को लेकर विभाग के निर्देश हैं कि कोरोना को लेकर जारी बजट का ही इस्तेमाल किया जा सकता है। आशा वर्कर को एक दिन में तीन घरों के विजिट की सूरत में 100 रुपए का अतिरिक्त मानदेय दिया जाएगा। अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान ने विशेषज्ञों की राय से इस अभियान की रणनीति को तैयार किया है। बताते हैं कि एक मर्तबा हिमाचल ने पहले भी टीबी को लेकर एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान चलाया था। इसके आधार पर 900 से 1000 मरीज ढूंढे गए थे। बताया यह भी जा रहा है कि राज्य ने मंडी व कसौली में कोरोना टैस्ट की लैब को स्थापित करने का प्रस्ताव भी भेजा है।