सुनील ठाकुर/बिलासपुर
कहलूर रियासत के राजाओं द्वारा बसाए गए गोविंदसागर झील में जलमग्र मंदिरों की पुर्नस्थापना को लेकर अब अंतिम सर्वेक्षण होगा। इस बाबत 28 जून को दिल्ली से इंडियन ट्रस्ट ऑफ हैरिटेज डिवेल्पमेंट एंड रूरल डिवेल्पमेंट की एक टीम बिलासपुर पहुंच रही है। यह टीम 30 जून तक जलमग्र मंदिरों को बाहर निकालकर चयनित जमीन पर स्थानांतरित करने के लिए संभावनाएं तलाशेगी और बाकायदा एक रिपोर्ट तैयार करेगी। इसी रिपोर्ट के आधार पर ही जिला प्रशासन की ओर से धार्मिक पर्यटन निखार के लिए आगामी कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया जाएगा।
अहम बात यह है कि जिला प्रशासन की ओर से मंदिरों के पुर्नस्थापन के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी, जिसके लिए इच्छुक कंपनियों और फर्मों से आगामी 31 जुलाई तक डीपीआर व टेक्रिकल बिड आमंत्रित की गई है।
जिलाधीश बिलासपुर राजेश्वर गोयल ने बताया कि इस मसले पर भाषा एवं संस्कृति विभाग से चर्चा के बाद दिल्ली की एक नामी संस्था से सर्वे करवाने का निर्णय लिया गया है, जिसके लिए टीम बिलासपुर आएगी। यह टीम तीन दिनों तक गोविंदसागर झील में जलमग्र मंदिरों पर सर्वे कर एक रिपोर्ट तैयार करेगी। जानकारी के मुताबिक झील में 8वीं से 19वीं शताब्दी के करीब 28 मंदिर समाए हुए हैं और समय बीतने के साथ साथ इन मंदिरों का अस्तित्व भी खत्म होता जा रहा है।
आस्था के प्रतीक इन मंदिरों को पुन: स्थापित करने के लिए कवायद शुरू की गई है। उन्होंने बताया कि सर्वे करने वाली टीम यह भी देखेगी कि कितने मंदिरों को चयनित जमीन पर सुरक्षित पुर्नस्थापित किया जा सकता है।