एमबीएम न्यूज़/नाहन
ज़िला की सबसे ऊंची चोटी और सप्तम कैलाश कहे जाने वाले पावन धाम चूड़धार में हर वर्ष लाखों श्रद्धालु अपने आराध्य देव शिरगुल महादेव के दर्शन करने पहुँचते हैं । इन दिनों भी सराहां, मंडाह घाटी और नौहराधार सहित कुछ अन्य पगडंडियों से कई घंटों का पैदल सफर तय करके हर रोज हज़ारों श्रद्धालु चूड़धार मंदिर पहुंचते हैं। यहां शिरगुल महादेव के चरणों में अपनी हाजरी लगा रहे हैं। शिमला के चौपाल उपमंडल के सराहां और मंडाह घाटी से चूड़धार मंदिर तक के पैदल ट्रेक की दूरी लगभग 7 किलोमीटर है। नौहराधार से चूड़धार पैदल ट्रैक की दूरी लगभग 18 किलोमीटर है। श्रद्धालु अपनी सहूलियत के हिसाब से अलग-अलग पगडंडियों पर पैदल चलकर आस्था के जनसैलाब में डुबकी लगाने चूड़धार मंदिर पहुंचते है।
खासकर जून और जुलाई के माह में शिव भक्तों का यहाँ पर खूब तांता लगा रहता है। चूड़धार मंदिर कमेटी के चेयरमैन एसडीएम चौपाल है। मंदिर कमेटी के कमिश्नर उपायुक्त शिमला है। चूड़धार मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए जाने वाले लाखों-करोड़ों रुपये भी प्रशासन की तिजोरी में रहते हैं। यात्रियों की सुविधा और सहूलियत के लिए किस प्रकार से मंदिर के चढ़ावे का उपयोग किया जाए, इस बात का निर्णय भी प्रशासनिक अधिकारी और कमेटी के सदस्य करते हैं।
वर्तमान में प्रशासन द्वारा संचालित मंदिर कमेटी के पास चूड़धार में श्रद्धालुओं को ठहराने के लिए 2 बड़े हॉल की व्यवस्था है, जिसमें लगभग 50 बिस्तर और 150 कंबल उपलब्ध हैं। प्रशासन की तरफ से श्रद्धालुओं को निशुल्क भोजन या लंगर की कोई व्यवस्था नहीं है।
इसके अलावा श्रद्धालुओं के चढ़ावे से प्रशासन ने अपनी सहूलियत के लिए एक वीआईपी गेस्ट हॉउस बनाया है। इसमें डबल बेड बिस्तर, सोफे और अटैच बाथरूम वाले 3 डीलक्स और 3 सेमी डीलक्स कमरे और 2 डोरमेट्री बनाई गई है। जिसमें अक्सर बड़े अधिकारियों और रसूखदार लोगों को एसडीएम चौपाल के दफ्तर से बुकिंग करवाकर व्यस्था मुहैया करवाई जाती है। हालांकि गेस्ट हॉउस में मंदिर कमेटी द्वारा खोली गई कैंटीन जरूर श्रद्धालुओं को राहत प्रदान कर रही है। यहाँ यात्रियों को उचित मूल्य में भर पेट भोजन दिया जा रहा है, वो भी अच्छी गुणवत्ता के साथ। कैंटीन का संचालन एक सामाजिक संस्था कर रही है। गेस्ट हाउस का संचालन प्रशासन स्वयं कर रहा है।
जून -जुलाई माह में शनिवार और रविवार को छुट्टियों के चलते आंकड़ा 10 हज़ार के पार भी चला जाता है। ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में मंदिर पहुँचे शिव भक्तों को व्यवस्था मुहैया करवाने की जिम्मेदारी से प्रशासन 10 हज़ार लोगों में से महज 200 लोगों को रात्रि विश्राम की व्यवस्था देकर अक्सर अपना पाला झाड़ देता है। यात्रियों की व्यवस्था की सारी जिम्मेदारी शारदा मठ आश्रम चूड़धार और चूड़ेश्वर सेवा समिति के कंधों पर आ जाती है। ब्रह्मलीन स्वामी श्यामानंद जी महाराज के शारदा मठ आश्रम चूड़धार में श्रद्धालुओं को निशुल्क भोजन करवा कर आश्रम की क्षमता अनुसार रात्रि विश्राम की निःशुल्क सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है।
स्थानीय ढाबा संचालक भी यात्रियों को अपनी दुकानों में जगह देकर उनकी मुश्किलों को कम करने का प्रयास करते है। इसी प्रकार से चुड़ेश्वर सेवा समिति द्वारा भी निःशुल्क लंगर और समिति के क्षमता के अनुसार निःशुल्क रात्रि विश्राम की व्यवस्था करवाई जाती है। सनद रहे कि शारदा मठ आश्रम का संचालन स्वामी विरेंद्रानंद जी महाराज और स्वामी कमलानंद जी महाराज द्वारा किया जाता है, जिसमें प्रशासन का कोई सहयोग नहीं है। ठीक उसी प्रकाश चुड़ेश्वर सेवा समिति का संचालन भी समिति के सदस्यों और सेवादारों के द्वारा किया जाता है। इसमें भी प्रशासन की तरफ से कोई सहयोग नहीं है।
चूड़धार में रात को अक्सर तापमान माइनस डिग्री में भी हो जाता है। सर्द हवाएं शरीर पर सुई की तरह चुभती हैं। बावजूद इसके हज़ारों श्रद्धालुओं को पूरी रात खुले आसमान के नीचे कड़कड़ाती ठंड में गुजारनी पड़ती है। ये सब कुछ देखकर भी प्रशासन मूक बधिर बना रहता है। क्योंकि अपनी और अपनों की सहूलियत के लिए तो डीलक्स और सेमी डीलक्स कमरों की व्यवस्था की गई है। इन्ही शिरगुल भक्तों के चढ़ावे से जो खुले आसमान के नीचे ठिठुर कर रात गुजारने को मजबूर है।
चुड़ेश्वर सेवा समिति के मुख्य प्रबंधक बाबू राम शर्मा ने बताया कि समिति के पास लगभग 250 बिस्तरे हैं और ढाई हजार कंबल और साथ ही सभी श्रद्धालुओं को निःशुल्क लंगर की व्यस्था उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि जून और जुलाई के माह में समिति के पास उपलब्ध सभी संसाधन भी कम पड़ जाते है। मजबूरन कभी सैंकड़ों तो कभी हज़ारों श्रद्धालुओं को बाहर बैठ कर ही माईनस तापमान में रात गुजारनी पड़ती है।
उधर चूड़धार मंदिर कमेटी के अध्यक्ष और एसडीएम चौपाल अजीत भारद्वाज ने बताया कि उन्होंने कुछ माह पूर्व ही एसडीएम कार्यभार संभाला है। प्रशासन और मंदिर कमेटी द्वारा चूड़धार में निशुल्क भोजन की फ़िलहाल कोई व्यवस्था नहीं है। श्रद्धालुओं के रात्रि ठहराव के लिए धर्मशालाओं के निर्माण पर विचार किया जा रहा है।