मंडी (एमबीएम न्यूज़): जिला अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ (मनकोटिया गुट) के महासचिव एवं अखिल भारतीय लैब टैक्निशियन की मण्डी जिला इकाई के प्रधान अमरजीत शर्मा ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से हिमाचल में डाक्टरों के लिए बढ़ाई गई 60 साल की रिटायरमैंट आयु सीमा की तर्ज पर 2003 के बाद नियुक्त हुए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की रिटायरमेंट आयु सीमा भी 60 साल करने पर सहानुभूतिपूर्वक पुनविचार करने का आग्रह किया है।
महासचिव अमरजीत शर्मा, प्रेस सचिव जयपाल चौधरी एवं अन्य कर्मचारी नेताओं ने कहा कि यद्यपि यह सही है कि स्वास्थ्य सेवाएं समाज में एक मिशनरी और महत्वपूर्ण कार्य है और एक डाक्टर का अपने सेवाकाल का जितना लम्बा अनुभव होगा, उसका कार्यक्षेत्र भी उतना ही विस्तृत एवं प्रभावी होगा। जाहिर है, ऐसी स्थिति में आयु सीमा कोई मायने नहीं रखती, लेकिन वहीं दूसरी ओर यह भी उतना ही यथार्थ है कि सरकारी सेवा क्षेत्र में पदनाम और आय में सबसे निम्न वर्ग का चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी आज परिस्थितियों से मोहताज है और उसकी दयनीय स्थिति को देखते हुए उसका सेवाकाल भी 60 वर्ष ही होना चाहिए। अमरजीत शर्मा ने कहा कि 2003 से पहले चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के लिए आयु सीमा 60 वर्ष निर्धारित थी, लेकिन 2003 के बाद सरकार ने इसमें बदलाव करते हुए इस वर्ग के कर्मचारी के लिए आयु सीमा 60 से घटाकर 58 साल कर दी जो कि न्यायसंगत नहीं है।
उन्होंने कहा कि चतुर्थ श्रेणी की रिटायरमैंट आयु सीमा कम हो जाने से लम्बे समय तक अंषकालिक और तदोपरान्त दैनिक वेतन भोगी के रूप में कार्य करने वाले कर्मचारी को कई दफा तो नियमित होने का अवसर ही नहीं मिल पाता और सरकारी लाभों से वंचित रहते हुए वह दैनिक वेतनभोगी ही सेवानिवृत हो जाता है, जो कि ऐसे निम्न आय वर्ग के कर्मचारी के साथ घोर अन्याय है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की विभिन्न इकाईयों में चाहे वह राजनीति हो न्यायिक सेवाएं हों प्रषासनिक सेवाएं अथवा कोई अन्य प्रकार का कार्यक्षेत्र हो जब एक राजनेता अथवा अधिकारी 60 वर्ष या इससे अधिक सेवाकाल तक कार्य कर सकता है तो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के साथ इस प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए। कर्मचारी नेताओं ने मुख्यमंत्री से इस मसले पर सहानुभूतिपूर्वक पुनर्विचार कर चतुर्थ श्रेणी कर्मी के सेवाकाल की पुरानी स्थिति बहाल करने तथा उसकी आयुसीमा 58 से बढ़ाकर 60 करने का आग्रह किया।