सुंदरनगर,16 सितंबर : एक तरफ हिमाचल सरकार ईको टूरिज्म (Eco tourism) को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है। वन विभाग द्वारा उपमंडल सुंदरनगर के रोहांडा में बनाया एक मात्र विश्राम कुटीर बदहाली के आंसू बहा रहा है। इस विश्राम कुटीर की हालत सुधारने में किसी भी अधिकारी की दिलचस्पी (Interest) नहीं दिख रही है। जिसको लेकर ग्रामीणों और आम जनता में भारी रोष है। यह विश्राम कुटीर रोहांडा से कमरुनाग (Kamrunag) जाने वाले रास्ते पर वन विभाग द्वारा आम जनता व कमरुनाग मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं (Devotees) की सुविधा के लिए लगभग 8 वर्ष पहले बनाया गया था। लेकिन इस में इंसान तो क्या पशु भी रहने से मना कर रहे हैं।
विश्राम कुटीर की दीवारों पर कई कुछ लिखा गया है, और इसके दरवाजे (Door) भी कई लोग ऊखाड़ कर ले गए हैं। ग्रामीणो ने मांग की है, कि इस विश्राम कुटीर में चौकीदार को रख इसकी हालत सुधारी जाए ताकि मुसीबत के समय में श्रद्धालु और आम जनता इसमें रह सकें। इसके साथ ग्रामीणों (Villagers) ने मांग की है, कि यहां पर वन विभाग (Forest Department) की बहुत सी भूमि खाली पड़ी है, जिसमें नर्सरी का निर्माण कर उसमें पेड़-पौधे (Plantation) लगाए जाए आने वाले समय में सरकार को फायदा मिल सके। मंडी निवासी रीतिका ने बताया की वह अपने परिवार के साथ कमरुनाग मंदिर जा रही थी, कि अचानक बारिश (Rain) होने के कारण उन्हें यहाँ पर विश्राम कुटीर दिखाई दिया। तो उन्होंने उसमें शरण ली लेकिन यहाँ की प्रीति देखकर उन्हें बहुत ही निराशा हो रही है। उन्होंने कहा कि यहां पर इंसान तो क्या जानवर भी नहीं रह सकते है।
उन्होंने सीएम जयराम ठाकुर से मांग की है कि इस विश्राम कुटीर की हालत सुधारी जाए ताकि लोगों को मुसीबत के समय में एक लाभ मिल सके।
ग्राम पंचायत रोहांडा के प्रधान प्रकाश चंद ने बताया कि रोहांडा से कमरुनाग मंदिर की दूरी लगभग 6 किलोमीटर की है। इसके बीच लोगों को आराम करने के लिए कोई भी ठिकाना नहीं है। सरकार द्वारा लगभग 8 वर्ष पहले इस रास्ते पर एक विश्राम कुटीर (Rest cottage) का निर्माण किया गया था। लेकिन इस विश्राम कुटीर की हालत इतनी जर्जर (Deplorable) है कि यहां लोग तो क्या जानवर भी रह नहीं सकते है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस विश्राम गृह की हालत सुधारने के लिए संबंधित विभाग को निर्देश दें ताकि हिमाचल प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों से कमरूनाग मंदिर दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को मुसीबत के समय में विश्राम कुटीर में आराम करने के लिए सुविधा मिल सके।