पांवटा: सिरमौर जिला की पांवटा घाटी में गन्ना उत्पादन कुछ सालों के भीतर अतीत के पन्नों में दर्ज हो सकता है। घाटी में गन्ना उत्पादकों को सरकार की पर्याप्त सुविधाएं न मिलने के कारण उत्पादन में लगातार गिरावट दर्ज हो रही है। एक समय में 10 से 15 हजार हैक्टेयर तक गन्ने का उत्पादन होता था जो 2009-10 में 5 हजार हैक्टेयर तक सिमट गया है। इन दिनों पांवटा घाटी में गुड व षक्कर के उत्पादन के लिए लगभग 40 चरखियां चल रही है जिससे गन्ना उत्पादकों को हर साल कुछ राहत मिल जाती है।
खास बात यह है कि कई दषकों से उतर प्रदेष के लोग ही घाटी में इन चरखियों को चलाते है। अगर दुर्भाग्य से उतर प्रदेष के लोग गुड व षक्कर के उत्पादन के लिए यहां न आए तो घाटी के गन्ना उत्पादकों के लिए एक बडी मुसीबत पैदा हो सकती है। गन्ना उत्पादकों का कहना है कि मौजूदा में पंावटा घाटी में कोई भी चीनी मिल नहीं है लिहाजा घाटी के गन्ना उत्पादकों को उतराखंड की डोईवाला में गन्ना बेचना पडता है जहां उत्पादकों को षोषण का सामना करना पडता है।