रिकांगपिओ : महादेव की शीतकालीन तपोस्थली किन्नौर में महाशिवरात्रि का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। पूरे क्षेत्र में जहां शिवरात्रि का पर्व फाल्गुन माह के 21 फरवरी को मनाया गया, वहीं किन्नौर का एक गांव ऐसा भी है जहां इस पर्व को एक दिन बाद मनाया जाता है। रुशकलंग गांव में माह शिवरात्रि का यह पर्व एक दिन बाद यानी 22 फाल्गुन को मनाया गया। इस दिन गांव का युवा वर्ग मुखोटा पहनकर शिव के वेश में वाद्य यंत्रों के साथ नाटी लगा कर लोगों का खूब मनोरंजन करते है।
मान्यता है कि शिव व पार्वती शिवरात्रि के अगले दिन मानसरोवर प्रवास के लिए निकले थे, तो उनका रात्रि विश्राम रुशकुलंग नामक स्थान पर हुआ था। इसी लिए यहां के ग्रामीण शिवरात्रि पर्व को एक दिन बाद मनाते है। इन मान्यताओं के अनुसार ही यहां के ग्रामीण शिवरात्रि के पर्व को एक दिन बाद मनाते आ रहे है। इस विशेष दिन के लिए यहां का युवा वर्ग कई दिनों से तैयारी करता है। इस दौरान युवा वर्ग गुपचुप तरीके से ऐसे वस्त्र व मुखोटा पहनते है ताकि उन्हें कोई पहचान न सके।
लोग यह समझे है कि शिव के साक्षात दर्शन हो रहे है। सुबह से ही पूरे गांव में काफी चहल-पहल रहती है। ग्रामीण इसे बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते है। रुशकलंग गांव के लोग इस पर्व को देखने के लिए भारी संख्या में यहां पहुंचते है। देर रात तक गांव में मनोरंजन का कार्यक्रम चलता है। अमीर सिंह नेगी, कर्म सिंह नेगी, टीसी नेगी, सुंदर नेगी, तंज़ीन नेगी, छोपेल, रामकृष्ण, दवा, प्रकाश सहित कई ग्रामीणों ने बताया कि यह पर्व रुशकलंग के ग्रामीण सदियों से मनाते आ रहे है।