मंडी (वी कुमार) : हालांकि अभी गर्मी का मौसम दूर है, लेकिन नदी नाले अभी से ही सूखने की कगार पर पहुंच गए हैं। जिन नदियां पर डैम बने हैं, वहां से तो पानी की सप्लाई पूरी तरह से रोक दी गई है। नतीजतन नदियों में पनपने वाले जीवन पर खतरे के बादल मंडराने लग गए हैं। शहर से होकर बहने वाली ब्यास नदी का भी कुछ ऐसा ही हाल है।
शहर के होकर बहने वाली ब्यास नदी जब अपने पूरे उफान पर होती है तो देखने वाला थोड़ी देर के लिए रोमांचित भी हो उठता है और घबरा भी जाताहै। लेकिन आजकल ब्यास नदी को देखकर ऐसा बिल्कुल नहीं कहा जा सकता कि यह नदी इतनी रौद्र भी होती होगी। कारण, ब्यास नदी में छोड़े जानेवाले पानी को रोक देना। मंडी जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर पंडोह के पास बीएसएल प्रोजैक्ट ने डैम बना रखा है।
नियम कहते हैं कि मौसम चाहे जैसा भी हो लेकिन डैम से 15 प्रतिशत पानी हर हाल में छोड़ा जाना लाजमी है। लेकिन बीबीएमबी प्रबंधन इस नियम का पालन नहीं कर रहा है। पंडोह डैम के पास की तस्वीरें बताती हैं कि डैम से पानी नहीं छोड़ा जा रहा, जिस कारण यहां से आगे ब्यास नदी के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लग गए हैं। पर्यावरण प्रेमी नरेंद्र सैनी की मानें तो इस वक्त नदी के पानी में बहुत ज्यादा ठहराव आ गया है जिससे पानी में पनपने वाले जीवन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं और इससे पानी दूषित होता जा रहा है।
पर्यावरण प्रेमी नरेंद्र सैनी की मानें तो उन्होंने इस बारे में कई बार प्रशासन, बीबीएमबी प्रबंधन, राज्य सरकार और पर्यावरण मंत्रालय को खत लिखे, लेकिन प्रशासन के सिवाय और किसी के खत को कोई जबाव नहीं आया। नरेंद्र सैनी का आरोप है कि बीबीएमबी प्रबंधन सिर्फ कागजों में ही इस बात को दर्शाता है कि डैम से पर्याप्त मात्रा में पानी छोड़ा जा रहा है, जबकि हकीकत कुछ और ही है। वहीं नरेंद्र सैनी ने सत्ता पक्ष और विपक्ष से भी इस पर गहन चिंतन करने की गुहार लगाई है।