नाहन (एमबीएम न्यूज) : झेले हैं सौ सितम, इक नया सितम ही तो है, पाले हूं कई गम, नया गम ही तो है। कुछ ऐसी ही लाजवाब रचनाओं से नाहन गुलजार हुआ। मौका था नोबल अर्थ हयूमन राईट आर्गेनाइजेशन एवं सिरमौर ब्रेन चैस अकादमी के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कवि सम्मेलन का। इस कवि सम्मेलन के माध्यम से कई नवोदित कवियों को पहली बार मंच नसीब हुआ।
कवियों ने जहां वर्तमान व्यवस्था को आड़े हाथों लिया वहीं नोटबंदी पर भी रचनाएं सुना कर खूब वाह-वाही लूटी। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि शून्य विनोद ने की जबकि मंच संचालन युवा कवि पंकज तन्हा ने किया। कार्यक्रम की शुरूआत युवा कवि धर्म सिंह तोमर ने नोटबंदी पर- न दिन देखा न रात, न देखे रिश्ते न जज्बात, पैसा जोडऩे की खातिर, चलते रहे वो अपनी चाल, कविता सुनाकर खूब वाह-वाही लूटी। नवोदित कवि कृष्ण सिंगटा ने प्रकृति प्रेम तथा युवा कवि विनोद ठाकुर ने समाज में फैली अव्यवस्थाओं पर चोट की। जिसे खूब सराहा गया।
माजरा से आए नवोदित कवि आमिर शेख ने अपनी कविता में उन लोगों पर तंज कसे जो अपनी माताओं के साथ दुर्व्यवहार करते हैं। युवा कवि सुरेंद्र सूर्या ने देश में फैले भ्रष्टाचार पर कविता के माध्यम से करारे तंज कसे। मोगीनंद से आए नवोदित कवि संजय गुप्ता ने-बारिश की कुछ बूंदे जब धरती पर गिरती हैं, तो माटी की सौंधी-सौंधी सी खुश्बू आती है। सुना खूब दाद पाई।
युवा कवि अजय चौहान ने हिन्दी की दुर्दशा पर मार्मिक कविता प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरी। वरिष्ठ कवि दीपचंद कौशल ने- आओ छत पर धूप में बैठे, सुख-दुख की कुछ बात करें, सूरज कहीं खिसक न जाए, मुटठी में कुछ धूप करें, गीत तरन्नुम में सुना कर खूब समां बाधा।
सैनवाला से आए वरिष्ठ कवि चिर आनंद ने-नोटबंदी की अदला-बदली से स्वयं नोट भी डरे-डरे हैं, नहीं अभी तक पता किसी को खोटे कौन व कौन खरे हैं, कविता तरन्नुम में सुना कर खूब दाद पाई। कवि श्रीकांत अकेला ने- काश, सरहद पार से लाते तुम सद्भावना के फूल, कविता के माध्यम से आतंकवाद पर करारा प्रहार किया। जिसे खूब पसंद किया गया। युवा शायर जावेद उल्फत ने अपनी शायरी से खूब रंग जमाया। उनका शेर देखिए- ये जहां मुझको जीने ही कहां देता है, चोट होती है जहां, चोट वहां देता है। सुना कर खूब वाह-वाही लूटी।
कवयित्री सरला गौतम ने-रोक लेती तो रोक लेती, जाने न देती, मगर उसे तो जाना था, सो चला गया, सुना कर खूब समां बांधा। पंडित लायक राम शास्त्री ने पहाड़ी भाषा में- छोटा कुडवा सुखो रा आधार, सुख है तेथे जेथे मिलदा है प्यार कविता सुनाई। कवि शून्य विनोद ने हास्य व्यंग्य नुमा कविताएं सुना कर खूब दाद पाई। कवि मोहम्मद क्यूम ने सामाजिक ताने-बाने पर अपनी कविता सुनाई।
पंकज तन्हा ने- है यकीन आज खरगोश ही जितेगा, बेशक कछुआ पहले आगे निकल गया, सुनाई। इस मौके पर सिरमौर ब्रेन चैस अकादमी के अध्यक्ष आशिष ठाकुर, ऋषि तोमर, कवयित्री शबाना सय्यद सहित भारी संख्या में श्रोतागण उपस्थित रहे।