हमीरपुर (एमबीएम न्यूज़) : हिमाचल प्रदेश अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड हमीरपुर के पूर्व चेयरमैन एमएस कटवाल विजिलेंस के हाथ नहीं लगे। कोर्ट ने 18 अक्टूबर तक गिरफ्तार करने का वॉरट जारी किया था। अब तक कोर्ट से सजा ए आफ्ता कटवाल हाथ नहीं लग सके। लिहाजा न्यायलय ने वॉरट की तिथि 15 नवंबर तक बढ़ा दी है।
सरकारी नौकरी की भर्ती के बहुचर्चित मामले में सजा ए आफ्ता एमएस कटवाल को सुप्रीम कोर्ट ने 18 अक्तूबर तक सरेंडर करने के आदेश दिए थे। लेकिन अब तक कटवाल ने सरेंडर नहीं किया है। लिहाजा मंगलवार सरेंडर करने की अंतिम तिथि थी। यहां तक कि विजीलेंस भी दोषी का पता नहीं लगा पाई है। मामले में अन्य तीन दोषी पहले ही जेल पहुंच चुके हैं। बोर्ड की भर्तियों में धांधली के सजा ए आफ्ता तत्कालीन बोर्ड सदस्य डा. विद्यानाथ ने 24 सितंबर को कोर्ट में सरेंडर किया था।
वहीं सजा ए आफ्ता शारीरिक शिक्षक राकेश छाबड़ा को विजिलेंस ने चंबा और टीजीटी के लिए चयनित मदन गोपाल को विजिलेंस ने ऊना से गिरफ्तार किया था। तीनों को न्यायालय में पेश कर जेल में भेज दिया गया है। जबकि मामले का चौथा दोषी अब तक पुलिस गिरफ्त से बाहर है उधर एएसपी विजिलेंस बलबीर सिंह का कहना है कि सजा ए आफ्ता एसएम कटवाल का अब तक कोई सुराग नहीं लग पाया है।
भर्तियों में धांधली का मामला…..
हिमाचल प्रदेश अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड हमीरपुर अब हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग में वर्ष 2001-02 में सरकारी पदों पर नियुक्तियां के दौरान गड़बड़ी के आरोप लगे थे। भाजपा सरकार के समय यह भर्तियां हुई थीं और एसएम कटवाल उस समय बोर्ड के चेयरमैन थे। जबकि डा. विद्यानाथ बोर्ड के सदस्य के पद पर नियुक्त थे। वर्ष 2004 में सत्ता बदलते ही मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इस भर्ती मामले की जांच करवाई।
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