मंडी (वी कुमार) : क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल प्रदेश के लोगों को पावर प्रोजैक्टस में उनकी हिस्सेदारी दिला पाएंगे। यह सवाल इसलिए अहम हो गया है क्योंकि जल, जंगल और जमीन हिमाचल की इस्तेमाल की जा रही है जबकि इसका लाभ पड़ोसी राज्य उठा रहे हैं।
इसे हिमाचल प्रदेश के लोगों का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि वह अपने प्रदेश की अमूल्य संपदा का दोहन पड़ोसी राज्यों को करने के लिए दे रहे हैं जबकि इससे प्रदेश वासियों को नाममात्र का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। हिमाचल प्रदेश में दर्जनों जल विद्युत परियोजनाएं चल रही हैं। और इन परियोजनाओं का लाभ पड़ोसी राज्य उठा रहे हैं। 900 मेगावाट की भाखड़ा परियोजना के निर्माण में न जाने कितने परिवारों ने घर से बेघर होने का दंश झेला। लेकिन बदले में मिला क्या, सिर्फ खाली हाथ।
बीबीएमबी के साथ 7.19 प्रतिशत की हिस्सेदारी का मामला अभी तक अधर में लटका हुआ है। 1970 से लेकर अब तक प्रदेश को रायलटी के रूप में 4200 करोड़ की अदायगी लंबित हो चुकी है लेकिन अभी तक प्रदेश को इसमें से फूटी कौड़ी भी नहीं मिल पाई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पैसे की अदायगी के लिए भारत सरकार को निर्देश दिए हैं।
भारत सरकार को इन पैसों को पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से दिलवाने को कहा गया है लेकिन अभी तक इस पर कोई गौर नहीं फरमाया गया है। यही कारण है कि अब प्रदेश के लोग फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंडी दौरे पर आस लगाए बैठे हैं कि पीएम इस हक को दिलवाने की दिशा में कोई न कोई सार्थक पहल करेंगे।
बीबीएमबी का पूरा प्रोजैक्ट हिमाचल प्रदेश की अमूल्य संपदा पर चल रहा है और लाभ इसका पड़ोसी राज्य उठा रहे हैं। ऐसा ही एक और प्रोजैक्ट है, जिसका नाम है शासन प्रोजैक्ट। मंडी जिला के जोगिंद्रनगर में बसे इस प्रोजैक्ट को वर्ष 1925 में बनाया गया था। उस वक्त पंजाब ने इसे 100 वर्षों की लीज पर ले लिया था। 2025 में यह प्रोजैक्ट फिर से हिमाचल के पास आयेगा, लेकिन तब तक इसकी दशा कैसी होगी आप अंदाजा लगा सकते हैं। इस प्रोजैक्ट की पूरी कमाई पंजाब सरकार को जा रही है जबकि इस्तेमाल हो रही है तो हिमाचल प्रदेश की अमूल्य संपदा।
हिमाचल प्रदेश में पानी की अथाह मात्रा होने के चलते यहां पर दर्जनों पावर प्रोजैक्ट बने हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल सिर्फ पड़ोसी राज्यों को रोशन करने के लिए किया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश के लोग आज भी हर महीने भारी भरकम बिजली के बिल अदा करते हैं, जबकि ऐसे राज्य को तो मुफ्त में बिजली का लाभ मिलना चाहिए।